Sarojini Naidu Death Anniversary: गांधीजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी थीं अंग्रेजों के खिलाफ

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ महात्मा गांधी(Mahatma Gandhi) के कई आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाने वालीं सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) की 2 मार्च को पुण्यतिथि है। स्वतंत्र भारत में पहली महिला राज्यपाल होने का गौरव इनके नाम है। 'भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू का निधन 2 मार्च, 1949 को हो गया था। उनकी पुण्यतिथि पर देश उन्हें नम करता है। पढ़िए उनकी कहानी..
 

फीचर डेस्क. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ महात्मा गांधी(Mahatma Gandhi) के कई आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाने वालीं सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) की 2 मार्च को पुण्यतिथि है। स्वतंत्र भारत में पहली महिला राज्यपाल होने का गौरव इनके नाम है। 'भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू का निधन 2 मार्च, 1949 को हो गया था। उनकी पुण्यतिथि पर देश उन्हें नम करता है। पढ़िए उनकी कहानी..

1914 में लंदन में गांधी से हुई मुलाकात के बाद आजादी के आंदोलन में कूद पड़ीं
सरोजिनी नायडू की पहली मुलाकात 1914 में लंदन में हुई थी। वे गांधी से बहुत प्रभावित हुईं। वे दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी की सहयोगी रहीं। गोपालकृष्ण गोखले को वे अपना राजनीतिक पिता मानती थीं। सरोजिनी मजाकिया स्वभाव की थीं। इसलिए गांधीजी के दरबार में उन्हें विदूषक कहा जाता था। सरोजिनी नायडू ने एनी बेसेंट के साथ 1915 से 18 तक भारत का भ्रमण किया, ताकि युवाओं में राष्ट्रीय भावना जगाई जा सके।

Latest Videos

भारत छोड़ो आंदोलन में भागीदारी
सरोजिनी नायडू ने गांधीजी के साथ कई आंदोलनों में भाग लिया। वे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी गई। 1925 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर में हुए अधिवेशन में प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष बनाई गईं। स्वतंत्र भारत में वे किसी राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनीं। सरोजिनी नायडू को 1947 में संयुक्त प्रांत, अब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। वे 15 अगस्त 1947 से 2 मार्च 1949 तक उत्तर प्रदेश की राज्यपाल रहीं।

13 वर्ष की उम्र में लिखी कविता
सरोजिनी नायडू कवियित्री थीं। वे बांग्ला भाषा में लिखती थीं। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाविद थे। सरोजिनी ने सिर्फ 14 साल की उम्र में तमाम अंग्रेजी कवियों को पढ़ लिया था। 1895 मे हैदराबाद के निजाम ने उन्हें वजीफे पर इंग्लैंड पढ़ने भेजा था। वे अंग्रेजी, बांग्ला, उर्दू, तेलुगु और फारसी की अच्छी जानकार थीं। जब वे 13 साल की थीं, तब 1300 लाइनों की कविता द लेडी आफ लेक लिखी थी। उन्होंने फारसी भाषा में मेहर मुनीर नामक नाटक लिखा। द बर्ड आफ टाइम, द ब्रोकन विंग, नीलांबुज, ट्रेवलर्स सांग उनकी प्रकाशित किताबें हैं। 70 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।

19 साल की उम्र में विवाह
सरोजिनी नायडू का विवाह 19 साल की उम्र में 1898 में डॉ. गोविंद राजालु नायडू से हुआ था। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। शिक्षा हासिल करने के दौरान ही वे राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गईं और उसमें सक्रिय रूप से भाग लिया। महात्मा गांधी, जवाहल लाल नेहरू समेत तमाम बड़े नेता उनकी नेतृत्व क्षमता के कायल थे और उनका बहुत सम्मान करते थे। सरोजिनी नायडू ने औरतों को शिक्षा दिलाने और समाज में उन्हें सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया।

सक्रिय राजनीति में आना
1905 में जब बंगाल का विभाजन हुआ तो इसके विरोध में वे सक्रिय रूप से राजनीति में आ गईं और राष्ट्रीय आंदोलन में हिस्सा लेना शुरू किया। 1928 में जब देश में प्लेग फैला तो उन्होंने इस महामारी के दौरान रोगियों की सेवा के लिए दिन-रात एक कर दिया। इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कैसर-ए-हिंद उपाधि से सम्मानित किया। 

यह भी पढ़ें
Manipur election 2022: स्वर्ग जैसी खूबसूरत है नॉर्थ ईस्ट की ये 10 जगह, एक बार जरूर करें सैर
Hijab controversy: कभी हिजाब ना पहनने पर मिली थी धमकी, आज आसमान की उड़ान भर रही ये कश्मीरी लड़की
कौन हैं क्लारा जेटिकन जिनके कारण मनाया जाता है विश्व महिला दिवस, इस देश से हुई थी शुरुआत

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh