गांव में सभी के पास मोबाइल या लैपटॉप नहीं है, जिसमें चार या पांच बच्चे एक डिवाइस से पढ़ाई करते हैं। अधिकतर बच्चों के पिता किसान हैं।
कोरोना महामारी में ऑनलाइन क्लास का चलन तेजी से बढ़ा है। लेकिन उन गांवों के बारे में सोचिए जहां पर सही तरीके से इंटरनेट नहीं आता है। आज ऐसे ही श्रीलंका के उवा के लुनुगला गांव की कुछ तस्वीरें दिखाते हैं। यहां टीचर और करीब 45 बच्चे इंटरनेट के लिए पेड़ों में चढ़कर पढ़ाई करते हैं।
बच्चों को मिलता है ऑनलाइन नोट्स
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की टीचर निमाली अनुरुद्धिका बच्चों को ऑनलाइन नोट्स भेजती हैं। कोरोना महामारी में स्कूल न जा पाने की वजह से ऑनलाइन नोट्स को डाउनलोड करने के लिए बच्चों को पेड़ पर चढ़ना पड़ता है।
गांव में सभी के पास मोबाइल या लैपटॉप नहीं है, जिसमें चार या पांच बच्चे एक डिवाइस से पढ़ाई करते हैं। अधिकतर बच्चों के पिता किसान हैं। जब बच्चे पढ़ाई करने जाते हैं तो वे भी उनके साथ ही जाते हैं। 6वीं क्लास में पढ़ने वाले बेटे साथ जाने वाली एचएम पथमिनी कुमारी ने कहा, बच्चे दिन में दो बार चट्टान पर चढ़ते हैं। उनकी सुरक्षा की चिंता पूरे दिन लगी रहती है।
गांव से 60 किमी दूर जाते हैं बच्चे
लुनुगला गांव से 60 किमी की दूरी पर स्कूली बच्चों को फॉरेस्ट रिजर्व में एक पर्वतीय ट्रीहाउस में ले जाया जाता है। यह लगभग 10 मीटर (30 फीट) ऊंचा है। यहां पर इंटरनेट सिग्नल आता है। बच्चे बारी-बारी से अपना होमवर्क अपलोड करते हैं और नोट्स को डाउनलोड करते हैं।
श्रीलंका में मार्च 2020 से अधिकांश स्कूल बंद कर दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि वे सभी बच्चों को शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। सीलोन शिक्षक संघ के प्रमुख जोसेफ स्टालिन का कहना है कि देश के 4.3 मिलियन छात्रों में से अधिकतम 40% ऑनलाइन क्लास में शामिल हो रहे हैं। अधिकांश के पास डिवाइस या कनेक्टिविटी की कमी है।