NDRI की स्थापना साल 1955 में की गई थी। तभी से पशुओं पर कई तरह के शोध चल रहे हैं। इसी में एक है पशुओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का शोध। इसमें गायों-भैंसों को तनावमुक्त रखने के लिए संगीत सुनाया गया। जिसका परिमाण चौंका देने वाला है।
वायरल डेस्क : आपकी गाय या भैंस अगर दूध कम देती है तो उसे बढ़ाने के लिए आप क्या करते हैं? आपका जवाब सिंपल होगा कि उसे चारा या दूध बढ़ाने वाले फूड्स खिलाते हैं। लेकिन अब एक ऐसी अनोखी रिसर्च आ गई है। जो यह कहती है कि अगर आप अपनी गाय या भैंस को म्यूजिक सुनाते हैं तो उसका दूध बढ़ जाता है। यह रिसर्च की गई है हरियाणा (Haryana) के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI Unique Research) की तरफ से।
म्यूजिक सुनाओ, गाय-भैंस ज्यादा दूध देंगी
रिसर्च में कहा गया है कि जिस तरह गाना-बजाना इंसानों को रिलैक्स कर देता है, उसी तरह पशुओं को भी यह तनाव मुक्त रखता है। NDRI की जलवायु प्रतिरोधी पशुधन अनुसंधान केंद्र ने अपने इस शोध में हजारों दुधारू पशुओं को शामिल किया। करीब चार साल तक यह रिसर्च चला। जो नतीजा निकलकर आया, उसमें पता चला कि संगीत से पशुओं का न हेल्थ बेहतर होता ही है, उनकी दूध देने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
शोधकर्ताओं का क्या करना है
'संस्थान के वरिष्ठ पशु वैज्ञानिक डॉ. आशुतोष ने बताया कि काफी समय पहले यह सुना जाता था कि गाों को संगीत और भजन पसंद है। भगवान श्रीकृष्ण की मुरली की धुन पर भी गायें चली आती थीं और उसे बड़े भाव से सुनती थी। अब हमने इसी को प्रयोग में अपनाया है। हमें इसका रिजल्ट भी अच्छा मिला है। उन्होंने बताया कि संगीत की तरंगें गाय के मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन हार्मोन को एक्टिव कर देती हैं, जिससे उनका दूध बढ़ जाता है और वे दूध देने के लिए प्रेरित होती हैं।'
दुधारू पशु और संगीत का कनेक्शन
NDRI की स्थापना साल 1955 में की गई थी। तभी से पशुओं पर कई तरह के शोध चल रहे हैं। देसी गायों की नस्लों पर भी कई प्रयोग किए गए हैं। इसी शोध में से एक है पशुओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का। शोधकर्ताओं ने गायों-भैंसों को तनावमुक्त रखने के लिए म्यूजिक सुनाया। उन्होंने देखा कि गाना सुनकर पशु भीषण गर्मी में भी काफी रिलैक्स रहते हैं और बैठकर जुगाली करते हैं। इसका असर उनके दूध पर पड़ा और वे पहले से ज्यादा दूध देने लगे। डॉ. आशुतोष ने बताया कि 'हम पशुओं को एक जगह बांधकर नहीं रखते हैं। क्योंकि इससे वे तनाव में आ जाते हैं। यहां पशुओं को ऐसा वातावरण दिया जा रहा है, जिससे उनपर दबाव न आए और वे तनाव मुक्त रहें। इसके लिए गीत-संगीत का सहारा भी लिया गया, जिसका रिजल्ट शानदार आया है।'
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