मैटरनिटी लीव खत्म होते ही महिला ने दी दूसरी गुड न्यूज, बॉस ने नौकरी से निकाला

लंदन में एक भारतीय मूल की महिला को दूसरी बार गर्भवती होने पर नौकरी से निकाल दिया गया. कंपनी ने आर्थिक नुकसान का हवाला दिया, लेकिन ट्रिब्यूनल ने कंपनी पर 31 लाख का जुर्माना लगाया.

rohan salodkar | Published : Oct 21, 2024 4:54 AM IST / Updated: Oct 21 2024, 10:32 AM IST

लंदन. महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश अनिवार्य है. भारत में कम से कम 6 महीने का वेतन सहित अवकाश दिया जाता है. यह नियम है. इस तरह महिला कर्मचारी ने पहले बच्चे के जन्म और देखभाल के लिए मैटरनिटी लीव ली. छुट्टी खत्म करके ऑफिस पहुँची कर्मचारी ने खुशी-खुशी गुड न्यूज़ शेयर की. दूसरे बच्चे के लिए माँ बनने की जानकारी ऑफिस को दी. अभी-अभी मैटरनिटी लीव खत्म करके आई महिला कर्मचारी के गर्भवती होने पर कंपनी ने आर्थिक नुकसान का कारण बताकर उसे नौकरी से निकाल दिया. लेकिन नियम तोड़ने वाली कंपनी को उद्योग ट्रिब्यूनल बोर्ड ने कड़ी सजा दी है. महिला कर्मचारी को 31 लाख रुपये जुर्माने के रूप में देने का आदेश दिया है. यह घटना लंदन में हुई है. 

यूके में रहने वाली भारतीय मूल की निकिता ट्विचन पहली बार माँ बनी थीं. उन्होंने नियमों के अनुसार कंपनी से मैटरनिटी लीव ली थी. मैटरनिटी लीव खत्म करके ऑफिस आई निकिता ने दूसरी गुड न्यूज़ ऑफिस में शेयर की.  

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निकिता के मैटरनिटी लीव से वापस आने के बाद कंपनी ने मीटिंग की. आगे के काम, टारगेट वगैरह पर चर्चा हुई. इसी दौरान निकिता के दोबारा काम पर आने पर बधाई दी गई और जोश के साथ काम करने के लिए सभी को शुभकामनाएँ दी गईं. इसी मीटिंग में निकिता ने अपनी गुड न्यूज़ बॉस और दूसरे सीनियर मैनेजर के साथ शेयर की. तब तक सब ठीक चल रहा था, मीटिंग एक पल में बदल गई. 

अभी-अभी मैटरनिटी लीव खत्म करके आई कर्मचारी के गर्भवती होने की खबर ने कंपनी को गुस्सा दिला दिया. मैनेजिंग डायरेक्टर जर्मनी मार्गन का रवैया बदल गया. इतना ही नहीं, निकिता को नौकरी से निकाल दिया गया. आर्थिक कारण बताकर निकिता को अचानक नौकरी से निकाल दिया गया. इस बारे में ईमेल के जरिए सफाई मांगने पर निकिता को कई दिनों तक कोई जवाब नहीं मिला. लेकिन लगातार ईमेल भेजने पर आर्थिक समस्या का कारण बताया गया. बाद में निकिता की जगह पर खास सॉफ्टवेयर लगाया गया है, ऐसा कारण बताया गया. लेकिन निकिता की जगह और उस काम के लिए कोई सॉफ्टवेयर नहीं लगाया गया था. 

इसलिए निकिता ने कर्मचारी ट्रिब्यूनल में कंपनी के फैसले को चुनौती दी. ईमेल रिकॉर्ड समेत दूसरे दस्तावेज दिए गए. ट्रिब्यूनल बोर्ड ने कंपनी से कुछ दस्तावेज मंगवाकर जाँच की और अब फैसला सुनाया है. नियम तोड़ने वाली कंपनी को निकिता को 31 लाख रुपये देने का आदेश दिया गया है.

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