
ट्रेंडिंग डेस्क। World Literacy Day: शिक्षा का महत्व तो हम सब जानते और शायद इसके बारे में विस्तार से बताने की जरूरत नहीं है। पूरी दुनिया में शिक्षा के महत्व को दर्शाने, सबको साक्षर बनाने और निरक्षता को खत्म करने के मकसद से हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। पूरी दुनिया में इस खास दिन विशेष आयोजन होते हैं। संयुक्त राष्ट्र में भी हर साल 8 सितंबर को शिक्षा योजनाओं से जुड़े कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
वैसे, यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि यह खास दिन मनाने की शुरुआत कब और कहां से हुई। इसके पीछे मकसद क्या था। दरअसल, विश्व साक्षरता दिवस मनान का आईडिया पहली बार ईरान से आया। जी हां, शिया बाहुल्य देश ईरान की राजधानी तेहरान में 19 सितंबर 1965 को दुनियाभर के शिक्षा मंत्रियों की मीटिंग आयोजित हुई और इसी बैठक में निर्णय लिया गया कि हर साल विश्व साक्षरता दिवस 8 सितंबर को मनाया जाएगा।
इस बार की थीम सीखने-समझने के माहौल और तरीको में बदलाव पर जोर देने वाली
इसके बाद अगले साल यानी 1966 से दुनियाभर में 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाने लगा। हर साल विश्व साक्षरता दिवस की अलग-अलग थीम होती है। इस साल यानी विश्व साक्षरता दिवस 2022 में थीम ट्रांसफॉरमिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेसेस: एक्सप्लोरिंग आपरच्यूनिटिज एंड पॉसिबिलीटिज रखी गई है। इसकी मदद से सीखने-समझने के माहौल और तौर-तरीकों में बदलाव लाने पर जोर दिया जाएगा।
2018 तक भारत में गांव और शहर की कुल साक्षरता दर सिर्फ 64.7 प्रतिशत थी
बता दें कि दुनियाभर में करीब चार अरब लोग साक्षर हैं यानी आधी से अधिक आबादी अब भी साक्षर नहीं है। वहीं, भारत में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2018 में जो रिपोर्ट जारी की थी, उसके मुताबिक देश में लिटरेसी रेट 69.1 प्रतिशत था। यह आंकड़ा गांव और शहर दोनों को मिलाकर जारी किया गया था। गांवों में यह दर 64.7 प्रतिशत थी, जिसमें महिलाओं की दर 56.8 प्रतिशत थी और पुरुषों की दर 72.3 प्रतिशत। शहरी क्षेत्र में भी कोई खास अंतर नहीं था। यहां कुल आंकड़ा 79.5 था, जिसमें पुरुषों का आंकड़ा 83.7 प्रतिशत और महिलाओं का आकंड़ा 74.8 प्रतिशत था।
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