इको फ्रेंडली दिवाली मनाने का संदेश देते हुए चंडीगढ़ में एक गौशाला ने गाय के गोबर से दीये बनाए हैं। इन्हें जरूरतमंदों को फ्री में वितरित किया जाएगा। ताकि, एक भी घर में दिवाली के दिन अंधेरा ना हो।
ट्रेंडिंग डेस्क : अक्सर हमने लोगों को कहते सुना है कि हमें पर्यावरण के अनुकूल यानी कि इको फ्रेंडली दिवाली (eco-friendly diwali) मनानी चाहिए। इको फ्रेंडली दिवाली की शुरुआत इको फ्रेंडली पटाखे, इको फ्रेंडली वातावरण से हो सकती है। इसी कड़ी में चंडीगढ़ की गौशाला में कुछ लोगों ने महत्वपूर्ण पहल करते हुए इको फ्रेंडली दिवाली मनाने के उद्देश्य से गाय के गोबर और हवन सामग्री से दीए बनाए हैं। यह दिए इतने यूजफुल है कि दिवाली पर इसका इस्तेमाल करने के बाद आप इसे बाद में पेड़ों की खाद के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं इन दीयों की खासियत और इन्हें किसने बनाया है...
चंडीगढ़ गौशाला की शानदार पहल
गौरी शंकर सेवा दल गौशाला के उपाध्यक्ष विनोद कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने दीया बनाने के लिए गाय के गोबर के साथ हवन सामग्री का इस्तेमाल किया है, जो घर को पवित्र बनाएगी। साथ ही पर्यावरण के अनुकूल है। उन्होंने कहा कि ये दीये अच्छाई और सकारात्मकता फैलाते हैं।
धनतेरस के दिन वितरित किए जाएंगे फ्री दीए
गौशाला में बने इन गोबर के दीयों को 23 अक्टूबर को धनतेरस पर लोगों के बीच निशुल्क वितरित किए जाएगा। गौशाला के उपाध्यक्ष ने बताया कि दीपावली के त्योहार के बाद गाय के गोबर के दीयों को बगीचों के लिए जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और इससे काफी हद तक दिवाली के बाद होने वाले कचरे को कम किया जा सकता है, क्योंकि गाय के गोबर को मिट्टी में आसानी से मिलाया जा सकता है और ये एक बेहतरीन उर्वरक का काम भी करते हैं।
बता दें कि कार्तिक के महीने के 15 वें दिन यानी की अमस्वया पर दिवाली मनाई जाती है। इस साल यह 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दिवाली रोशनी का त्योहार है और दोस्ती और एकजुटता का संदेश फैलाता है। इस दिन घर के चारों ओर दीया, मोमबत्ती और दीया लगाया जाता है। ऐसे में चंडीगढ़ की इस गौशाला में दिवाली पर हर घर दीया जलाने की मुहिम से शानदार पहल की है।
ये भी पढ़ें- Dhanteras 2022 Upay: ये हैं वो 5 यंत्र जो कंगाल को भी बना देते हैं मालामाल, जानें इन्हें कब घर लेकर आएं?
Diwali Puja 2022: जानिए लक्ष्मी पूजा में कितने दीपक जलाना चाहिए और क्यों?