Angarki Sankashti Chaturthi 2022: मंगल दोष से हैं परेशान तो 13 सितंबर को 4 शुभ योग में करें ये उपाय

Angarki Sankashti Chaturthi 2022: हर महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश की विशेष पूजा की जाती है। जब चतुर्थी तिथि मंगलवार को होती है तो अंगारक चतुर्थी का योग बनता है। इस बार ऐसा संयोग 13 सितंबर 2022 को बन रहा है।
 

Manish Meharele | Published : Sep 13, 2022 3:11 AM IST

उज्जैन. 9 ग्रहों में मंगल का भी विशेष महत्व है। जब ये ग्रह किसी व्यक्ति को कुंडली में अशुभ स्थिति में होता है, तो उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस ग्रह के अशुभ फल से बचने के लिए कई उपाय किए जाते हैं। ये उपाय अगर अंगारक चतुर्थी पर किए जाएं तो और भी शुभ रहता है। इस बार 13 सितंबर, मंगलवार को अंगारक चतुर्थी (Angarki Sankashti Chaturthi 2022) का योग बन रहा है। आगे जानिए ये अंगारक चतुर्थी का योग कब बनता है और मंगल दोष के उपाय…

कब बनता है अंगारक चतुर्थी का योग? 
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, जिस मंगलवार को चतुर्थी तिथि का संयोग बनता है, उसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। इस बार 13 सितंबर को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 13 सितंबर, मंगलवार को है। चतुर्थी और मंगलवार एक साथ होने से अंगारक चतुर्थी का योग बना है। इस दिन आश्विन नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा सर्वार्थसिद्धि, वृद्धि और ध्रुव नाम के 3 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे।

ये हैं मंगल दोष के उपाय (Mangal Dosh Ke Upay)
1.
अंगारक चतुर्थी पर हनुमानजी की पूजा विशेष फलदाई रहता है। इस दिन हनुमानजी को सिंदूर और चमेली के तेल से चोला चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
2. अगर आपकी कुंडली में मंगल दोष है तो इसके अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए अंगारक चतुर्थी पर मंगल से संबंधित मंत्रों का जाप करें। इसके पहले मंगलदेव की पूजा जरूर करें।
3. मंगल ग्रह से शुभ फल पाने के लिए मंगल यंत्र की पूजा की जाती है। अंगारक चतुर्थी पर इसे अपने घर पर लाकर स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी पूजा करें। इससे आपकी परेशानियों जल्दी ही दूर हो जाएंगी।
4. अंगारक चतुर्थी पर लाल मसूर की दाल नदी में प्रवाहित करें या किसी ब्राह्मण को दान करें। साथ ही लाल वस्त्र, लाल फल आदि का भी दान करें।
5. अगर आपके आस-पास कोई मंगलदेव का मंदिर हो तो वहां जाकर विधि-विधान से पूजा करें। अगर मंगलदेव का मंदिर न हो तो नवग्रह मंदिर में भी पूजा कर सकते हैं।


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