सार

Shraddha Paksha 2022:धर्म ग्रंथों के अनुसार, पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण आदि करने से कई तरह के शुभ फल हमें प्राप्त होते हैं। इसके संबंध में कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। महाभारत में इसके संबंध विस्तृत जानकारी मिलती है। 
 

उज्जैन. हिंदू धर्म में हर व्यक्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान अनिवार्य कर्म बताए गए हैं। यानी हर हाल में आपको अपने पितरों की शांति के लिए ये करना ही चाहिए। इस बार श्राद्ध पक्ष (Shraddha Paksha 2022) 10 से 25 सितंबर तक रहेगा। महाभारत (Mahabharata) के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में विस्तार पूर्वक बताया है। भीष्म ने युधिष्ठिर को ये भी बताया है कि किस तिथि में श्राद्ध करने से उसका क्या फल मिलता है। आगे जानिए तिथि अनुसार श्राद्ध से मिलने वाले फलों के बारे में…

1. भीष्म पितामाह ने युधिष्ठिर को बताया कि, जो व्यक्ति प्रतिपदा तिथि पर पितरों का श्राद्ध करता है, उसे बहुत ही सुंदर और सुयोग्य संतानों को जन्म देने वाली पत्नी मिलती है।
2. जो व्यक्ति द्वितीया तिथि पर पितरों का श्राद्ध करता है, उसके घर में योग्य कन्याओं का जन्म होता है। जो कुल का नाम रोशन करती हैं। 
3. तृतीया तिथि पर श्राद्ध करने से घोड़े मिलते हैं, ऐसा महाभारत में लिखा है।
4. जो व्यक्ति चतुर्थी तिथि का श्राद्ध करा है, उसे बहुत-से छोटे-छोटे पशु जैसे भेड़-बकरियों के लाभ मिलता है। 
5. योग्य पुत्र पाने के लिए पंचमी तिथि पर श्राद्ध जरूर करना चाहिए। 
6. जो व्यक्ति षष्ठी तिथि का श्राद्ध करता है, उसे आकर्षण और तेज में वृद्धि होती है। यानी सभी लोग उसकी बात को आसानी से मान जाते हैं।
7. सप्तमी को श्राद्ध करने से खेती में लाभ होता है।
8. अष्टमी को श्राद्ध करने से बिजनेस में फायदा होता है।
9. जो व्यक्ति नवमी तिथि पर श्राद्ध करता है, उसे खुरवाले पशु जैसे- घोड़े और खच्चर आदि से फायदा मिलता है। 
10. महाभारत के अनुसार, दशमी तिथि को श्राद्ध करने से गायों से फायदा मिलने के योग बनते हैं। 
11. श्राद्ध की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और योग्य संतान का जन्म होता है।
12. श्राद्ध पक्ष की बारहवी तिथि यानी द्वादशी को श्राद्ध से बहुमूल्य धातु जैसे सोने-चांदी में वृद्धि होती है।
13. त्रयोदशी तिथि को श्राद्ध करने से समाज में मान-सम्मान मिलता है। 
14. चतुर्दशी तिथि पर उसी व्यक्ति का श्राद्ध करना चाहिए, जिसकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे किसी घटना-दुर्घटना में या किसी शस्त्र के द्वारा। 
15. श्राद्ध पक्ष की अंतिम तिथि को सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से मनुष्य की सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। 


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