
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। लेकिन कई बार समय, पैसा और जानकारी के अभाव में विधि पूर्वक श्राद्ध नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में पितृ दोष (Pitra Dosh Upay) निर्मित होता है, जिसके चलते हमें जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन परेशानियों से बचने के लिए कुछ आसान उपाय किए जा सकते हैं। इनमें से कुछ उपाय रोज भी किए जा सकते हैं। आगे जानिए इन उपायों के बारे में…
यहां रोज जलाएं 1 दीपक
जिस स्थान पर आप पीने का पानी रखते हैं, वहां रोज शाम को शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इस स्थान को पितरों से संबंधित माना जाता है। ये उपाय रोज करने से पितरों की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। इस बात का ध्यान रखें कि इस स्थान पर झूठे बर्तन भूलकर भी न रखें, नहीं तो पितृ दोष का अशुभ असर और बढ़ सकता है।
हर अमावस्या पर पितरों की पूजा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, अमावस्या को पितरों की तिथि माना गया है यानी इस तिथि के स्वामी पितृ देवता ही है। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या तिथि आती है। इस दिन पितृ देवताओं की पूजा करें। गाय के गोबर से बने कंडे को जलाकर उस पर गूग्गल के साथ घी व गुड़ की धूप दें। इससे भी पितृ प्रसन्न होते हैं पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है।
भगवान विष्णु को चढ़ाएं तिल
धर्म ग्रंथों में तिल का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है। इसलिए इसका उपयोग सभी शुभ कार्यों में जरूर किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृ कर्म में तिल का उपयोग करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितृ दोष से बचने के लिए भगवान विष्णु की पूजा में तिल जरूर चढ़ाएं। संभव हो तो तिल का दान भी करें। इससे भी पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
जरुरतमंदों को दान करें
अमावस्या तिथि पर जरुरतमंद लोगों को पका हुआ भोजन, अनाज, कपड़े, बर्तन, जूते-चप्पल आदि का दान करें। इसके अलावा गाय को हरा चारा खिलाएं। मछलियों के लिए तालाब या नदी में आटे की गोलियां बनाकर डालें। कुत्ते को रोटी खिलाएं। इन छोटे-छोटे उपायों से पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है।
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