Makar Sankranti पर सूर्यदेव के साथ करें शनिदेव के मंत्रों का भी जाप, बढ़ेगा सम्मान और कम होंगी परेशानियां

14 जनवरी, शुक्रवार को सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण ही इस दिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) पर्व मनाया जाएगा। मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं। अगर ये कहा जाए तो पिता सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश कर रह हैं तो गलत नहीं होगा। ज्योतिषिय आधार पर ये सही भी है। इसलिए इस पर्व में जितना महत्व सूर्यदेव का ही उतना ही महत्व शनिदेव का भी है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 4, 2022 7:37 AM IST / Updated: Jan 10 2022, 03:37 PM IST

उज्जैन. धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) पर सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। सूर्य की पूजा करने से इंसान को यश और बल की प्राप्ति होती है। वहीं शनिदेव की पूजा से लाइफ में चल रही परेशानियां कुछ कम हो सकती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, मकर संक्रांति पर सूर्य के साथ-साथ शनिदेव के मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। इससे इन दोनों देवताओं की कृपा हम पर बनी रहती हैं। ये हैं सूर्यदेव और शनिदेव के मंत्र…

ये हैं सूर्य मंत्र

1. नमामि देवदेवशं भूतभावनमव्ययम्। दिवाकरं रविं भानुं मार्तण्डं भास्करं भगम्।।
इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगतिं शुभम्।।
2. ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
3. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
4. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
5. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
6. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
7. ॐ सूर्याय नम:
8. ॐ घृणि सूर्याय नम:

शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
1. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
2. ॐ शं शनैश्चराय नमः।
3. शनि महामंत्र ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
4. शनि का पौराणिक मंत्र 
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

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इस विधि से करें मंत्रों का जाप
1. मकर संक्रांति की सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र पहनें और सूर्यदेव की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर, उसके सामने कुशा का आसन बिछाकर बैठ जाएं।
2. सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा करें। कुंकुम, लाल फूल, लाल वस्त्र आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं। ये दीपक मंत्र जाप पूरा होने तक जलते रहना चाहिए।
3. लाल चंदन की माला से मंत्र जाप करना शुरू करें। कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें।
4. शनिदेव के मंत्र जाप करते समय भी यही प्रक्रिया करनी है। शनिदेव को नीले फूल व नीले वस्त्र चढ़ाएं और मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें।

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