उज्जैन. यह मुख्य रूप से राजस्थान का त्योहार है। इसे दुबड़ी सातें या दुबड़ी सप्तमी भी कहते हैं। यह त्योहार संतान की मंगलकामना के लिए किया जाता है। इस बार यह पर्व 5 सितंबर, गुरुवार को है। ये है इसकी पूजा विधि-
इस दिन दुबड़ी माता की पूजा की जाती है। घर की दीवार पर दुबड़ी (कुछ बच्चों, सर्पों, मटका तथा एक औरत) का चित्र मिट्टी से बनाया जाता है।
उनको चावल, जल, दूध, रोली, आटा, घी और चीनी मिलाकर लोई बनाकर उनसे पूजा जाता है, दक्षिणा चढ़ाई जाती है तथा भीगा हुआ बाजरा भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।
इसके बाद बहुएं अपनी सास के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं। इस दिन दुबड़ी सातें की कहानी भी सुनी जाती है तथा ठंडा भोजन किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि दुबड़ी माता की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से उत्तम संतान प्राप्त होती है तथा वह स्वस्थ व दीर्घायु भी होती है।