25 जनवरी को कालाष्टमी पर करें भगवान काल भैरव की पूजा, इस दिन बन रहे हैं 2 शुभ योग

धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के अवतार काल भैरव की पूजा का विधान है। मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु, मृत्यु के डर से मुक्ति, सुख, शांति और आरोग्य प्राप्त होता है।

उज्जैन. मान्यता है कि भगवान शिव की नगरी काशी की रक्षा वहां के कोतवाल बाबा काल भैरव ही करते हैं। मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत करने से क्रूर ग्रहों का प्रभाव भी खत्म हो जाता है और ग्रह शुभ फल देना शुरू कर देते हैं। इस बार ये व्रत 25 जनवरी, मंगलवार को किया जाएगा। कालाष्टमी का व्रत करने और काल भैरव की पूजा करने व्यक्ति को हर प्रकार के डर से मुक्ति मिलती है। उनकी कृपा से रोग-व्याधि दूर होते हैं। वह अपने भक्तों की संकटों से रक्षा करते हैं।  उनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां पास नहीं आती हैं। 
 

कालाष्टमी तिथि कब से कब तक 
अष्टमी तिथि का आरंभ 25 जनवरी, मंगलवार को सुबह 07:48 से होगा, जो अगले दिन यानी 26 जनवरी, बुधवार को सुबह 06:25 तक रहेगी। 

कालाष्टमी शुभ योग  
कालाष्टमी पर द्विपुष्कर योग: प्रातः 7:13 से प्रातः 7:48 तक
कालाष्टमी पर रवि योग:  प्रातः 7:13 से   प्रातः10:55 तक  

Latest Videos

कालाष्टमी व्रत पूजा विधि
- कालाष्टमी पर पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध करें। इसके बाद लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कालभैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। 
- जल चढ़ाने के बाद पुष्प, चंदन, रोली अर्पित करें। इसके साथ नारियल, मिष्ठान, पान, मदिरा, गेरु आदि चीजें अर्पित करें। काल भैरव के समक्ष चौमुखा दीपक जलाएं और धूप-दीप कर आरती करें। 
- इसके बाद शिव चालीसा और भैरव चालीसा या बटुक भैरव कवच का भी पाठ कर सकते हैं। रात्रि के समय काल भैरव की सरसों के तेल, उड़द, दीपक, काले तिल आदि से पूजा-अर्चना कर रात्रि में जागरण करें।

ये है भगवान काल भैरव की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा। जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक। भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी। महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे। चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी। कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।। बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें। कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।

ये भी पढ़ें...

Shattila Ekadashi 2022: 28 जनवरी को किया जाएगा षटतिला एकादशी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा
 

Share this article
click me!

Latest Videos

पनवेल में ISKCON में हुआ ऐसा स्वागत, खुद को रोक नहीं पाए PM Modi
कागजों पर प्लान, सिर्फ ऐलान... क्यों दिल्ली-NCR को नहीं मिल रही धुआं-धुआं आसमान से मुक्ति?
SDM थप्पड़कांड के बाद 10 धाराओं में दर्ज हुआ केस, हवालात में ऐसे कटी नरेश मीणा की रात । Deoli-Uniara
डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट में हो सकते हैं 3 NRI, एक भारतीय महिला को मिली बड़ी जिम्मेदारी
'मुझे लव लेटर दिया... वाह मेरी महबूबा' ओवैसी का भाषण सुन छूटी हंसी #Shorts