मंगल दोष दूर करने के लिए किया जाता है भात पूजन, जानिए कहां और कैसे होती है ये विशेष पूजा?

कुंडली में यदि कोई ग्रह प्रतिकूल स्थान पर हो तो उससे संबंधित अशुभ फल प्राप्त होते हैं। इससे बचने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं।

उज्जैन. जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली आदि में मंगल ग्रह, लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं। मांगलिक कुंडली वालों को विवाह के पूर्व भात पूजा करने की सलाह दी जाती है। आगे जानिए भात पूजा से जुड़ी खास बातें…

1. भात अर्थात चावल। चावल से शिवलिंगरूपी मंगलदेव की पूजा की जाती है। जो मांगलिक हैं उन्हें विवाह पूर्व भात पूजा अवश्य करना चाहिए।
2. इस पूजा में सर्वप्रथम गणेशजी और माता पार्वतीजी का पूजना होता है। इसके बाद नवग्रह पूजन होता है फिर कलश पूजन एवं शिवलिंग रूप भगवान का पंचामृत पूजन एवं अभिषेक वैदिक मंत्रोचार द्वारा किया जाता है।
3. इसके बाद भगवान को भात अर्पित करने के उनका पूजन किया जाता है। विधिवत रूप से भात पूजन, अभिषेक और मंगल जाप के बाद फिर आरती उतारी जाती है।
4. मंगल दोष की शांति के लिए भात पूजा मध्य प्रदेश के उज्जैन में की जाती है, क्योंकि इसे ही मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है।

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मंगल दोष दूर करने के अन्य उपाय
1.
मंगलदोष निवारण के लिए विवाह से पहले भात पूजा के अलावा पीपल विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह आदि के उपाय भी बताए जाते हैं। इन उपायों से वैधव्य योग समाप्त हो जाता है।
2. देरी से विवाह, दांपत्य सुख में कमी एवं कोर्ट केस इत्या‍दि के समय मंगल यंत्र पूजन का विधान है। भात पूजा के समय भी यह कार्य किया जा सकता है। इससे दाम्पत्य जीवन में सुख की प्राप्ति होती है और संतान सुख मिलता है।

मांगलिक कुंडली का मिलान
वर, कन्या दोनों की कुंडली ही मांगलिक हो तो विवाह शुभ और दाम्पत्य जीवन आनंदमय रहता है। एक सादी एवं एक कुंडली मांगलिक नहीं होना चाहिए। मांगलिक कुंडली के सामने मंगल वाले स्थान को छोड़कर दूसरे स्थानों में पाप ग्रह हो तो दोष भंग हो जाता है। उसे फिर मंगली दोषरहित माना जाता है तथा केंद्र में चंद्रमा 1, 4, 7, 10वें भाव में हो तो मंगली दोष दूर हो जाता है। शुभ ग्रह एक भी यदि केंद्र में हो तो सर्वारिष्ट भंग योग बना देता है।

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