प्रत्येक व्यक्ति के जन्म समय और तिथि के अनुसार ग्रह, नक्षत्रों की गणना करके कुंडली बनती है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग बनते हैं।
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के इन योगों के आधार पर ही व्यक्ति के भाग्य का विश्लेषण किया जाता है। जहां कुंडली में शुभ योगों की अधिकता होने पर व्यक्ति धनवान और सुखी जीवन व्यतीत करता है तो वहीं कुंडली में अशुभ दोषों के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आगे जानिए ऐसे ही कुछ अशुभ योगों और उनके उपाय के बारे में…
1. ग्रहण योग
जब किसी की कुंडली के किसी भी भाव में चंद्रमा या सूर्य के साथ राहु या केतु बैठे हों तो ग्रहण योग बनता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक का मस्तिष्क स्थिर नहीं रहता है। व्यक्ति अपने कार्य को लेकर सही निर्णय नहीं ले पाता है और वह बार बार अपने कार्य को बदलता रहता है।
उपाय
यदि किसी की कुंडली में ग्रहण योग हो तो उसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सूर्य को जल देना चाहिए और साथ ही आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। चंद्रमा को शुभ करने के लिए माह में शुक्ल पक्ष के चंद्रमा के नियमित दर्शन करने चाहिए।
2. चांडाल योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु बृहस्पति के साथ राहु बैठा हो तो, दोनों की युति से कुंडली में चांडाल योग का निर्माण होता है। कुंडली में इस योग के बनने का सबसे ज्यादा असर शिक्षा और धन पर होता है। व्यक्ति को कर्ज के कारण आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, साथ ही शिक्षा में असफलता का सामना करना पड़ता है।
उपाय
जिस व्यक्ति की कुंडली में चांडाल योग हो उसे गुरुवार के दिन चने की दाल और पीली चीजों का दान किसी जरूरतमंद को करना चाहिए। गुरुवार के दिन व्रत करना चाहिए। भोजन में बेसनसे बनी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए।
3. षड्यंत्र योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी के लग्न भाव का स्वामी (लग्नेश) अष्टम भाव में हो और वहां कोई शुभ स्थित न हो तो कुंडली में षड्यंत्र योग का निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को किसी अपने करीबी से ही धोखा मिलने की आशंका रहती है। इस योग की वजह से षड्यंत्र करके जातक की धन-संपत्ति छीने जाने का डर बना रहता है। इस योग के कारण विपरीत लिंगी से धोखा मिल सकता है।
उपाय
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में षड्यंत्र योग हो तो उसे शिव परिवार का पूजन करना चाहिए। इसके अलावा सोमवार के दिन शिवलिंग पर सफेद आंकड़े का पुष्प और सात बिल्व पत्र चढ़ाने के साथ शिवजी को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
4. भाव नाश योग
यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में किसी भाव का स्वामी त्रिक स्थान यानी छठे, आठवें और 12वें भाव में बैठा हो तो उस भाव के सारे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। जिस भाव के प्रभाव नष्ट होते हैं उससे संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे यदि किसी जातक के धन स्थान का प्रभाव नष्ट हो जाता है तो व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस ग्रह को लेकर भावनाशक योग बन रहा है, उससे संबंधित रत्न धारण करने से आप परेशानियां दूर कर सकते हैं लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि योग्य ज्योतिषी की सलाह से ही रत्न धारण करें। इसके अलावा वार के अनुसार हनुमानजी की आराधना करें।
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