सार

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली के ग्रह अशुभ फल प्रदान करने लगें तो शिक्षा पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ने लगता है। ग्रहों की स्थिति खराब होने पर शिक्षा में बाधाएं आने लगती हैं और कभी-कभी शिक्षा पूरी तरह से बाधित भी हो जाती है, इसलिए ग्रहों को अनुकूल बनाने के उपाय करना भी आवश्यक होता है।

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली के ग्रह अशुभ फल प्रदान करने लगें तो शिक्षा पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ने लगता है। ग्रहों की स्थिति खराब होने पर शिक्षा में बाधाएं आने लगती हैं और कभी-कभी शिक्षा पूरी तरह से बाधित भी हो जाती है, इसलिए ग्रहों को अनुकूल बनाने के उपाय करना भी आवश्यक होता है। आगे जानिए किन ग्रहों के कारण आती है शिक्षा में रुकावट और इन्हें अनुकूल बनाने के लिए क्या उपाय करने चाहिए… 

पंचम भाव में पाप ग्रह की दृष्टि होना
जन्म कुंडली का पंचम भाव का संबंध शिक्षा से माना जाता है। यदि किसी की कुंडली के पंचम भाव में भाव पर पाप ग्रह राहु-केतु की दृष्टि पड़ती है तो शिक्षा में समस्याएं आने लगती हैं। इसके अलावा यदि कुंडली में शनि और मंगल की स्थिति सही न हो तो भी शिक्षा संबंधित समस्याएं आने लगती हैं। यदि किसी की कुंडली में ये ग्रह अशुभ हो तो तुरंत उन्हें अनुकूल बनाने के प्रयास करने चाहिए।

इन ग्रहों का शिक्षा से होता है सीध संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवगुरु बृहस्पति और बुध ग्रह शिक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। जहां गुरु ग्रह ज्ञान और सफलता प्रदान करते हैं तो वहीं बुधदेव को बुद्धि और वाकपटुता का कारक माना गया है। यदि यह ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो शिक्षा में दिक्कते आने लगती हैं। शिक्षा संबंधित बाधाओं को दूर करने के लिए इन ग्रहों का शुभ होना बहुत आवश्यक होता है।

करें ये उपाय
- ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह की अशुभता को दूर करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। यदि शिक्षा में बाधाएं आ रही हैं तो एकादशी का व्रत करना चाहिए। माता-पिता अपनी संतान के लिए यह व्रत कर सकते हैं।
- यदि किसी का बुध ग्रह कमजोर हो तो उसे प्रतिदिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए और बुधवार के दिन हरी चीजों का दान करना चाहिए। इससे बुध ग्रह की अशुभता दूर होती है और शिक्षा में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं। भगवान गणेश को भी बुद्धि का देवता माना गया है। इनकी पूजा से सकारात्मकता और बुद्धि में वृद्धि होती है।

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