सार
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है चंद्र। चंद्र प्रत्येक सवा दो दिन में अपनी राशि बदल लेता है। चंद्र का संबंध मन से होता है और यह व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व पर प्रभाव डालता है।
उज्जैन. चंद्र माता, मामा, ननिहाल पक्ष से आपके संबंध कैसे होंगे, ये भी तय करता है। आगे जानिए कुंडली के किस भाव में बैठकर कैसा फल प्रदान करता है चंद्रमा…
1. चंद्र यदि प्रथम भाव अर्थात् लग्न में हो तो व्यक्ति दुष्ट प्रकृति का, पागल, बहरा, अशांत मन वाला, गूंगा और काली देह वाला होता है।
2. चंद्रमा दूसरे भाव में हो तो व्यक्ति अपरिमित सुख, धन, मित्रों से युक्त तथा अधिक धन का स्वामी व कम बोलने वाला होता है।
3. कुंडली के तीसरे भाव में बली चंद्रमा हो तो व्यक्ति को भाई-बंधुओं का अच्छा सहयोग रहता है। प्रसन्न रहने वाला, वीर, विद्या-वस्त्र-अन्न् से भरपूर होता है।
4. चौथे भाव का चंद्रमा व्यक्ति को बंधु-बांधवों से युक्त बनाता है। सेवाभावी, दानी, जलीय स्थानों को पसंद करने वाला तथा सुख-दुख से मुक्त होता है।
5. पांचवे भाव का चंद्रमा व्यक्ति को कमजोर बनाता है। ऐसे व्यक्ति में वीरता की कमी होती है लेकिन विद्या, वस्त्र, अन्न् का संग्रहकर्ता होता है।
6. छठे भाव का चंद्र हो तो व्यक्ति के शत्रु अधिक होते हैं। वह तीक्ष्ण, कोमल शरीर वाला, क्रोधी, नशे में चूर, पेट रोगी होता है।
7. सप्तम भाव का चंद्र हो तो व्यक्ति सुशील, संघर्षशील, सुखी, सुंदर शरीर वाला, कामी होता है। कृष्ण पक्ष का निर्बल चंद्र हो तो दीन एवं रोगों से पीड़ित होता है।
8. आठवे भाव का चंद्रमा व्यक्ति को बुद्धिमान, तेजवान, रोग-बंधन से कृश देहधारी बनाता है। चंद्रमा क्षीण हो तो व्यक्ति अल्पायु होता है।
9. नवम भाव में चंद्रमा हो तो व्यक्ति देव-पितृ कार्य में तत्पर, सुखी, धन-बुद्धि पुत्र से युक्त, स्त्रियों का प्रिय तथा उद्यमी होता है।
10. दसवें भाव में चंद्र हो तो व्यक्ति खेद से रहित, कार्य में तत्पर, कार्यकुशल, धन से संपन्न, पवित्र, अधिक बली, वीर एवं दानी होता है।
11. 11वें भाव का चंद्रमा हो तो व्यक्ति धनी, अधिक पुत्रवान, दीर्घायु, सुंदर, इच्छित नौकरी वाला, मनस्वी, उग्र, वीर एवं कातिमान होता है।
12. कुंडली में 12वें भाव का चंद्रमा हो तो व्यक्ति द्वेषी, पतित, नीच, नेत्ररोगी, आलसी, अशांत, सदा दुखी रहने वाला होता है।
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