सार

ज्योतिष में शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है। शनि महाराज व्यक्ति को उनके कर्मो के अनुसार ही फल देते हैं। जिस किसी पर भी शनि की शुभ द्दष्टि पड़ जाती है उस व्यक्ति का जीवन सुख-सुविधाओं और ऐशो-आराम के साथ बीतता है।

उज्जैन. जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि का ये शुभ योग बनता है उसे हर एक काम में सफलता, धन-दौलत और समाज में प्रतिष्ठा मिलती है। जानिए शनिदेव किस स्थिति में देते हैं शुभ फल…

- जन्म कुण्डली में शनि पहले, चौथे, सातवें अथवा दसवें घर में अपनी राशि मकर या कुंभ में विराजमान होते हैं उनकी कुण्डली में पंच महापुरूष योग में शामिल एक शुभ योग बनता है। इस योग को शश योग के नाम से जाना जाता है।
- यह एक प्रकार का राजयोग है। शनि अगर तुला राशि में भी बैठे हो तब भी यह शुभ योग अपना फल देता है। इसका कारण यह है कि शनि इस राशि में उच्च के होते हैं।
- मेष, वृष, कर्क, सिंह, तुला वृश्चिक, मकर एवं कुंभ लग्न में जिनका जन्म होता है उनकी कुण्डली में इस योग के बनने की संभावना रहती है।
- अगर आपकी कुण्डली में शनि का यह योग नहीं बन रहा है तो कोई बात नहीं। आपका जन्म तुला या वृश्चिक लग्न में हुआ है और शनि कुण्डली में मजबूत स्थिति में है तब आप भूमि से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- गुरु की राशि धनु अथवा मीन में शनि पहले घर में बैठे हों तो व्यक्ति धनवान होता है। शनि न्याय व स्थिरता के जबकि शुक्र वैभव और विलासिता प्रदान करने वाले ग्रह माने जाते हैं।
- जब भी किसी की कुंडली में शनि-शुक्र का संबंध बनता है तो यह बहुत ही प्रभावशाली योग होता है। कुंडली में शुक्र और शनि योग बनने पर और यह योग तुला लग्न या फिर वृष लग्न में बने तो बहुत ही शुभ माना गया है।

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