वैदिक ज्योतिष में अनेक योगों का वर्णन मिलता है, इनमें सात संख्या योग काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल यह योग सात प्रकार से बनता है और सभी का अलग-अलग नाम होता है, लेकिन समग्र रूप से इसे सात संख्या योग कहा जाता है।
उज्जैन. वैदिक ज्योतिष में अनेक योगों का वर्णन मिलता है, इनमें सात संख्या योग काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल यह योग सात प्रकार से बनता है और सभी का अलग-अलग नाम होता है, लेकिन समग्र रूप से इसे सात संख्या योग कहा जाता है।
क्या होता है सात संख्या योग?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह एक ही राशि में बैठे हों तो गोल योग, दो राशि में सभी ग्रह हों तो युग योग, तीन राशियों में सभी सभी ग्रह हों तो शूल योग, चार राशियों में सभी ग्रह हों तो केदार योग, पांच राशियों में सभी ग्रह हों तो पाश योग, छह राशियों में सभी ग्रह हों तो दाम योग और सात राशियों में सभी ग्रह बैठे हों तो वीणा योग होता है।
क्या होता है इन योगों का फल?
1. गोल योग में जन्मा व्यक्ति सदैव दुखी रहता है।
2. युग योग में जन्मा व्यक्ति दरिद्र यानी गरीब रहता है।
3. शूल योग में जन्मा व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार हो जाता है।
4. केदार योग में जन्मा व्यक्ति कृषक यानी खेती का काम करता है।
5. पाश योग में जन्मा व्यक्ति दुष्ट स्वभाव वाला होता है।
6. दाम योग में जन्मा व्यक्ति पशु पालने वाला होता है।
7. वीणा योग में जन्मा व्यक्ति प्रत्येक कार्य में निपुण होता है।
इस प्रकार इन संख्या योग में जन्मा व्यक्ति दूसरे के भाग्य से जीते हैं। इनके भाग्य पर दूसरों के भाग्य का गहरा प्रभाव रहता है और उसी के अनुसार इनके जीवन में सुख-दुख का आना—जाना लगा रहता है।
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