हिंदू पंचांग के अनुसार, आज (1 नवंबर, रविवार) से कार्तिक मास शुरू हो रहा है, जो 30 नवंबर तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस महीने से जुड़ी अनेक परंपराएं भी बताई गई हैं, उन्हीं में से एक है कार्तिक मास में रोज सुबह नदी या तालाब में स्नान करना। कार्तिक मास में नदी स्नान का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है
उज्जैन. हिंदू पंचांग के अनुसार, आज (1 नवंबर, रविवार) से कार्तिक मास शुरू हो रहा है, जो 30 नवंबर तक रहेगा। धार्मिक दृष्टिकोण से इस महीने का विशेष महत्व है। इस महीने में हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली भी मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों में इस महीने से जुड़ी अनेक परंपराएं भी बताई गई हैं, उन्हीं में से एक है कार्तिक मास में रोज सुबह नदी या तालाब में स्नान करना। कार्तिक मास में नदी स्नान का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है, जो इस प्रकार है...
इसलिए कार्तिक मास में है नदी स्नान की परंपरा…
- कार्तिक मास को रोग दूर करने वाला कहा गया है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण इस मास का अनुकूल वातावरण है।
- वर्षा ऋतु में आसमान बादलों से ढंका रहता है। ऐसे में कई सूक्ष्मजीव पनपते हैं और रोग फैलाते हैं।
- इसके बाद जब शरद ऋतु आती है तो आसमान साफ हो जाता है और सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर आती हैं, जिससे रोगाणु समाप्त हो जाते हैं और मौसम स्वास्थ्य के लिए अनुकूल हो जाता है।
- ताजी हवा, सूर्य की पर्याप्त रोशनी आदि शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती है।
- यही कारण है कि कार्तिक मास में सुबह नदी स्नान का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में लिखा है।
- सुबह उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं।