Astrology: बुधादित्य सहित कई शुभ योग बनाता है बुध ग्रह, जानिए कुंडली के किस भाव में क्या फल देता है

ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में बुध ग्रह को सौरमंडल का युवराज कहा जाता है। ये मिथुन (Gemini) और कन्या (Virgo) राशि के स्वामी हैं। मीन (Pisces) इनकी नीच तथा कन्या (Virgo) उच्च राशि कही गयी है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 25, 2021 4:15 AM IST / Updated: Aug 25 2021, 01:01 PM IST

उज्जैन. बुध ग्रह किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में विद्या, वाणी, लेखन, प्रकाशन, शिक्षण, बैंकिंग कार्य, वकालत, चार्टर्ड एकाउंटेंट, गीत-संगीत, व्यापार, सलाहकार तथा कुशल वक्ता के रूप में सफलता दिलाने वाले ग्रह के रूप में जाने जाते हैं जो जन्मकुंडली में इनकी स्थिति पर निर्भर करता है। इनके द्वारा अथवा इनकी युति से बनने वाले प्रमुख योगों में भद्र योग, बुधादित्य योग, लक्ष्मी-विष्णुयोग, कुशल वक्ता योग आदि प्रमुख हैं। जन्मकुंडली में बुध की स्थिति के अनुसार अलग-अलग भावों में कैसा प्रभाव रहता है, इसकी जानकारी इस प्रकार है…

प्रथम भाव
जन्म कुंडली के इस भाव में बुध का रहना अतिशुभ माना गया है। ऐसा व्यक्ति सामाजिक पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। उसके द्वारा कही गई बातों को बड़े गौर से सुना जाता है। सूर्य के साथ यदि बुध हो तो बुधादित्य योग का निर्माण होता है, जो व्यक्ति को जीवन में सफलताओं के चरम तक ले जाता है, वह मिलन सार और मृदुभाषी होता है।

द्वितीय भाव
जन्मकुंडली के इस भाव में विराजमान बुध व्यक्ति को बुद्धिमान, कुशल वक्ता तथा अपनी योजनाओं को फलीभूत करवाने वाला बनता है। ऐसा व्यक्ति खोया हुआ धन प्राप्त करता है। उसके जीवन में आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बने रहते हैं। ऐसा व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास करने वाला, दूसरों की मदद करने वाला और अपने बाहुबल से धन अर्जित करने वाला होता है।

तृतीय भाव
जन्म कुंडली के इस भाव में बुध के होने से व्यक्ति धर्म एवं अध्यात्म के प्रति गहरी आस्था रहती है। ये घूमने फिरने तथा विदेश प्रवास में अच्छी रुचि रखते हैं। अपने घर में विराजमान रहने पर बुध मनोनुकूल फल प्राप्त कराते हैं किंतु नीच राशि मीन में रहने पर मानसिक विकार भी उत्पन्न कराते हैं।

चतुर्थ भाव
जन्म कुंडली के इस भाव में होने पर बुध व्यक्ति को स्वाभिमानी, कुशल वक्ता, सफल उद्यमी तथा परिश्रमी बनाते हैं। पाप ग्रहों के साथ रहने पर ये व्यक्ति को वासनाओं की ओर जाने के लिए प्रेरित करते हैं। शिक्षण कार्य, लेखन, पठन-पाठन तथा प्रशासनिक कार्यों में अच्छी सफलता हासिल करते हुए ये जनप्रिय बने रहते हैं। इनमें नेतृत्व शक्ति की प्रधानता रहती है।

पंचम भाव
जन्म कुंडली के इस भाव में विराजमान बुध किसी भी व्यक्ति के लिए वरदान से कम नहीं है। यदि ये अपने घर में हों तो ऐसा व्यक्ति गायक, संगीतज्ञ, तथा ललित कलाओं का प्रेमी होता है। साधारण से परिवार में जन्म लेने पर भी ऐसे लोग अपनी कुशल बुद्धिमत्ता के बल पर समाज में अच्छी मान प्रतिष्ठा हासिल करते हैं। 

छठे भाव
किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में बुध इस भाव में विराजमान हों तो उसके जीवन में मिश्रित फल घटता हुआ दिखाई देता है। गुप्त शत्रुओं की अधिकता रहती है। ऐसे लोगों के शत्रु पढ़े लिखे और सहकर्मी ही होते हैं। जीवनपर्यंत कोर्ट-कचहरी के मामलों से भी दो-चार होना पड़ता है। कई बार देखा गया है कि ऐसे लोगों के करियर में काफी उतार-चढ़ाव रहता है। 

सप्तम भाव
जन्मकुंडली के इस भाव में बुध अति शुभ फल देते हैं। दांपत्य जीवन सुखद रहता है किंतु शनि के साथ ही यदि यहां विराजमान हों तो उनके फल अच्छे नहीं रहते। बुध अपनी राशि के हों तो ऐसे लोगों को ससुराल पक्ष से सहयोग मिलता है और धन का आगमन होता रहता है। ऐसा जातक दीर्घजीवी, प्रसिद्ध, यशस्वी और कुशल प्रशासनिक अधिकारी होता है, अहंकार के कारण अपना नुकसान भी कर लेते हैं।

अष्टम भाव
जन्मकुंडली के इस भाव में बुध का फल काफी मिला-जुला रहता है, ऐसे लोगों को कहीं न कहीं स्वास्थ्य संबंधी समस्या जैसे चर्मरोग, एलर्जी, हड्डी और पेट से संबंधित समस्याओं से जूझना पड़ता है। अपने घर में विराजमान बुध व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य और सामाजिक पद-प्रतिष्ठा भी दिलाते हैं, मकान वाहन का सुख तो मिलता ही है सभी भौतिक उपलब्धियों का भी सुख प्राप्त होता है। 

नवम भाव
किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली के इस भाव में विराजमान बुध का फल बेहतरीन सफलता देता है। ऐसा व्यक्ति धर्म-कर्म में रुचि वाला धार्मिक ग्रंथों का संपादन करने वाला, प्रकाशक और कुशल वक्ता होता है। कई बार सामाजिक जिम्मेदारियों का दबाव उन पर सीधा दिखाई देता है। बुध अपने घर में विराजमान हों तो फल दोगुना हो जाता है। 

दशम भाव
जन्म कुंडली के इस भाव में बुध व्यक्ति को अति मिलनसार, न्यायिक प्रक्रिया का पालन करने वाला, कुशल प्रशासक और समाजसेवी बनाते हैं। सामान्य परिवार में जन्म लेने के बावजूद ऐसा व्यक्ति अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचता है। यदि ये अपनी राशि में विराजमान हों अथवा कोई बड़ा योग बनाए हों तो उनकी ख्याति दूर-दूर तक पहुंचती है। 

एकादश भाव
जन्म कुंडली के इस भाव में बुध व्यक्ति को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाते हैं। कुशल गणितज्ञ, ज्योतिषी, न्यायिक प्रक्रिया में रुचि रखने वाला, लेखन तथा प्रकाशन के क्षेत्र में अच्छी ख्याति अर्जित करता है। बुध अपने घर में विराजमान हों तो छोटे स्तर से कार्य करके बड़ा व्यापारी बनता है। चाहने वालोंकी लंबी लिस्ट होती है। 

द्वादश भाव
यात्राओं के प्रेमी और धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले ऐसे लोग खूब सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। धार्मिक ट्रस्टों, वृद्ध आश्रमों तथा मंदिरों में दानके लिए ऐसे लोगों को जाना जाता है। बुध अपने घर में विराजमान हों तो ऐसा व्यक्ति विदेशी कंपनियों में बड़े पदों पर नौकरी करता है और स्वयं के बलपर विदेश प्रवास भी करता है।

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