सार

ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में पापकर्तरी योग (papakartari yoga) को बहुत ही हानिकारक माना गया है। पापकर्तरी योग जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका (birth Chart) में होता है उसे संघर्षमय व कष्टप्रद जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य होना पड़ता है।

उज्जैन. कर्तरी संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है काटना। जन्मपत्रिका में जब किसी भाव के दोनों ओर पाप ग्रह स्थित हों तो वे कैंची के समान उस भाव के फल को काट देते हैं अर्थात् उस भाव का शुभ फल नष्ट कर देते हैं। इसे ही ज्योतिष की भाषा में पापकर्तरी योग कहा जाता है। जब यह स्थिति शुभ भाव के दोनों ओर बनती है तो इसे विशेष अशुभ समझा जाता है।

पाप कर्तरी (papakartari yoga) दोष के परिणाम
जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में पाप कर्तरी दोष का निर्माण होता है उस स्थिति में उस व्यक्ति को जीवनकाल में उस शुभ ग्रह संबंधित शुभ फल प्राप्त नहीं होते हैं जो ग्रह पापी ग्रहों के मध्य आकर के पाप कर्तरी दोष में फंस जाता है। अतः जब भी उस शुभ ग्रह की दशा, अंतर्दशा आती है तो उसके जो शुभ फल हमें प्राप्त होने चाहिए थे, वे नहीं मिलते। क्योंकि उसके शुभ फलों को  दोनों पापी ग्रह नष्ट कर देते हैं।

पाप कर्तरी (papakartari yoga) दोष के उपाय
1.
जब भी उस शुभ ग्रह कि जीवन में दशा अंतर्दशा आए, उस समय उन पापी ग्रहों की वस्तुओं का दान किया जाए।
2. कभी भी दोनों ही पापी ग्रहों के रत्न को धारण नहीं करें।
3. शुभ ग्रह जो पापी ग्रहों के मध्य स्थित है उसके बीज मंत्र का जाप करें साथ ही दोनों ही पापी ग्रहो के बीज मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं। क्योंकि बीज मंत्र मारक व योगकारक दोनों ही प्रकार के ग्रहो को शुभ फल देने के लिए बाध्य करते हैं।
4. उस योगकारक ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान कदापि ना करें।
5. यदि योगकारक ग्रह जो पाप कर्तरी दोष में फंसा है उसकी डिग्री कम हो तो उनको बढ़ाने के लिए उस ग्रह से संबंधित रत्न को धारण करें।
6. पालतु जानवर को घर में रखे और नियमित रूप से देखभाल करें।
7. हनुमान जी की नियमित रुप से आराधना करें।
8. सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें।

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