रक्षाबंधन (Rakshabandhan 2022) हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा (Sawan Purnima Ke Upay) को मनाया जाता है। ज्योतिषियों में मतभेद होने के कारण इस बार ये पर्व 11 और 12 अगस्त को मनाया जाएगा।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों में भी श्रावणी पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है। ज्योतिष उपायों के लिए भी ये दिन बहुत शुभ माना गया है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से हमारी परेशानियां कुछ कम हो सकती हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानिए रक्षाबंधन पर किए जाने वाले उपायों के बारे में…
पीपल के नीचे दीपक लगाएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर देवी लक्ष्मी का निवास पीपल के वृक्ष पर रहता है। पूर्णिमा तिथि की शाम को नजदीक स्थित किसी पीपल के वृक्ष के नीचे शुद्ध घी का दीपक लगाएं और देवी लक्ष्मी को घर आने का निमंत्रण दें। ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं।
धन लाभ के लिए करें ये उपाय
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव को चावल अर्पित करने से धन लाभ के योग बनते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि चावल साबूत हों यानी टूटे हुए न हों। ज्योतिष शास्त्र में चावल को शुक्र का अनाज बताया गया है। शुक्र ग्रह के शुभ होने पर ही हमें जीवन में सभी सुख-सुविधाएं मिलती हैं।
देवताओं को भी बांध सकते हैं रक्षा सूत्र
रक्षाबंधन पर आप अपने इष्टदेव, गुरु और देवताओं को भी रक्षा सूत्र बांध सकते हैं। इस दिन मुख्य रूप से शिव जी, हनुमानजी, गणेश जी और भगवान विष्णु को रक्षा सूत्र बांधा जाता है। रक्षासूत्र बांधकर आप अपनी परेशानियां कम होने की प्रार्थना इन देवताओं से करें। जल्दी ही आपकी मनोकामना भी पूरी होगी।
सावन के अंतिम दिन करें शिव पूजा
रक्षाबंधन श्रावण मास का अंतिम दिन होता है। वैसे तो ये महीना पूरा ही शिवजी को समर्पित है, लेकिन इसका अंतिम दिन यानी श्रावण पूर्णिमा बहुत ही खास मानी गई है। इस दिन विधि-विधान से शिवजी की पूजा करें और इसके बाद जरूरतमंद को धन-अनाज का दान करें। शिव पूजा करने पर भक्त का मन शांत होता है। नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
सत्यनारायण भगवान की कथा करवाएं
धर्म ग्रंथों के अनुसार पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु से संबंधित हैं। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करवाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। इसके लिए किसी योग्य ब्राह्मण का चयन करें और जितने लोगों को बुला सकें, बुलाएं। कथा के बाद ब्राह्मण को भोजन, अनाज, कपड़े आदि चीजों का दान जरूर करें।
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