Sawan शिवरात्रि आज: रात में 4 बार इस विधि से करें शिवजी की पूजा, ये हैं शुभ मुहूर्त

प्रत्येक मास की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि (Shivratri) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव (Shiva) की पूजा का विशेष महत्व है। इस बार ये तिथि 6 अगस्त, शुक्रवार को है। सावन (Sawan) मास होने से इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। ज्योतिषियों के अनुसार पूजा के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा, लेकिन शिवरात्रि (Shivratri) होने के कारण सूर्यास्त के बाद 4 प्रहर में पूजा की परंपरा है। यानी पूरी रात हर 3 घंटे में पूजा की जाएगी।

उज्जैन. 6 अगस्त, शुक्रवार को सावन (Sawan) शिवरात्रि पर सर्वार्थसिद्धि नाम का शुभ योग भी बन रहा है जो सूर्योदय से शुरू होगा और पूरे दिन-रात रहेगा। इस शुभ योग में की गई पूजा और भी फलदायी होगी। जानिए इस दिन का महत्व और पूजा के शुभ मुहूर्त...

सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) कब
इस साल सावन (Sawan) शिवरात्रि (Shivratri) 6 अगस्त, शुक्रवार को है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि शाम तकरीबन 6.40 से शुरू होगी और अगली तारीख की शाम तक रहेगी। शुक्रवार की प्रदोष काल (सूर्यास्त) और निशिथ काल (मध्यरात्रि ) में चतुर्दशी तिथि होने से इसी दिन सावन शिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा।

चतुर्दशी तिथि कब से कब तक
चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 6 अगस्त की शाम 06:30 से होगा, जो 7 अगस्त की शाम 07:13 तक रहेगी।

रात के 4 प्रहर की पूजा के मुहूर्त
पहले प्रहर की पूजा का समय - शाम 07:10 से रात 09:50 तक (प्रदोष काल)
रात के दूसरे प्रहर की पूजा का समय - रात 09:50 से 12:30 तक (अगस्त 07)
तीसरे प्रहर में पूजा का मुहूर्त - 12:30 से 03:08 तक
चौथे और आखिरी प्रहर में पूजा का समय - 03:08 से सुबह 05:50 तक

इस विधि से करें पूजा
- सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं। फिर व्रत और शिव पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत रखें और ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। 
- सूर्यास्त के पहले फिर से नहाएं और किसी मंदिर या घर पर ही शिवलिंग की पूजा करें। पूजा के वक्त पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर बैठें।
- 4 प्रहर की पूजा में शुद्ध पानी में गंगाजल मिलाकर शिवजी का अभिषेक करें। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शकर मिलाकर इस पंचामृत से भी अभिषेक करें। 
- शिवलिंग पर चंदन, फूल, बिल्वपत्र, धतूरा, सुगंधित सामग्री और मौसमी फल चढ़ाएं। फिर शिवजी को धूप और दीपक लगाकर नैवेद्य लगाएं। इसी क्रम से 4 प्रहरों की पूजा करें।

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