सार

वैसे तो सावन (Sawan) का हर दिन भगवान शिव (Shiva) की पूजा के लिए शुभ है, लेकिन इस महीने के दोनों पक्षों में आने वाली त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करे के लिए प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) किया जाता है, वहीं चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि (Shivratri) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये दोनों तिथियां क्रमश: 5 और 6 अगस्त को है। ये दोनों ही दिन शिव पूजा के लिए बहुत ही शुभ हैं।

उज्जैन. इस बार 5 अगस्त, गुरुवार को प्रदोष (Pradosh) तिथि तथा 6 अगस्त, शुक्रवार को मासिक शिवरात्रि (Shivratri) का पर्व है। इन दो दिनों में शिवजी की पूजा-अभिषेक से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है।

इस विधि से करें प्रदोष व्रत
प्रदोष तिथि यानी 5 अगस्त को व्रत रखें। इस दिन सूर्योदय के वक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही शाम को सूर्यास्त के वक्त शिवजी की विशेष पूजा करनी चाहिए। इस दिन सुबह-शाम शिवलिंग पर बिल्वपत्र और सफेद फूलों की माला चढ़ाएं। साथ ही घी का दीपक लगाएं। मिट्‌टी के मटके में दूध और पानी भरकर शिव मंदिर में दान करें।

शिवरात्रि (Shivratri) पर करें 16 श्रृंगार
सावन (Sawan) शिवरात्रि (Shivratri) यानी शिव चतुर्दशी 6 अगस्त को है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इस दिन मां पार्वती को सौभाग्य सामग्री यानी 16 श्रंगार चढ़ाए जाते हैं। जिससे परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस पर्व पर रात के चारों प्रहर में पूजा करने की परंपरा भी है। यानी सूर्यास्त के बाद हर 3 घंटे में शिव-पार्वती पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।

इन उपायों से मिलेगा पूजा का फल
- सावन (Sawan) महीने में प्रदोष और मासिक शिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद भगवान भोलेनाथ का जल और दूध से अभिषेक करने की परंपरा है। साथ ही फलों के रस से भी अभिषेक करना चाहिए।
- शिवपुराण में बताया गया है कि फलों के रस से शिवजी का अभिषेक करने से हर तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं। इसके बाद शिवलिंग पर मदार, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।
- साथ ही शिवजी को मौसमी फलों का भोग लगाएं और इन दो दिनों तक व्रत रखें। इससे शिव महापूजा का फल मिलता है।

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