सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर बन रहे हैं 3 शुभ योग, पितरों की मुक्ति के लिए करें ये काम

अश्विन महीने की अमावस्या (Sarva Pitru Moksha Amavasya 2021)  पर कई तरह के धार्मिक कार्य यानी श्राद्ध, तर्पण, पूजा-पाठ और दान करने की परंपरा है। ग्रंथों के मुताबिक इस तिथि पर कालसर्प और पितृ दोष निवारण के लिए पूजा की जाती है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 4, 2021 2:43 PM IST

उज्जैन. इस बार सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या का पर्व 6 अक्टूबर, बुधवार को है। पुरी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक हिंदू कैलेंडर की गणना में अमावस्या तीसवीं तिथि होती है। यानी कृष्णपक्ष का आखिरी दिन अमावस्या कहलाता है। इस तिथि पर सूर्य और चंद्रमा का अंतर शून्य हो जाता है। इसलिए इन 2 ग्रहों की विशेष स्थिति से इस तिथि पर पितरों के लिए की गई पूजा और दान का विशेष महत्व होता है।

अश्विन अमावस्या: पितरों का महापर्व (Sarva Pitru Moksha Amavasya 2021)
अश्विन महीने की अमावस्या पर पितरों की विशेष पूजा करनी चाहिए। इस पर्व पर पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध करना चाहिए। ये सब संभव न हो तो इस तिथि पर पितरों की तृप्ति के लिए व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए और इस दिन अन्न एवं जल का दान करना चाहिए। अश्विन महीने की अमावस्या पर ब्राह्मण भोजन के साथ गाय को चारा खिलाया जाता है। साथ ही इस दिन खीर और अन्य खाने की चीजों का दान भी दिया जाता है।

3 शुभ योगों में अमावस्या (Sarva Pitru Moksha Amavasya 2021)
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, 6 अक्टूबर को हस्त नक्षत्र में सर्वपितृ अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध एक ही राशि में रहेंगे। वहीं सूर्य और बुध से बुधादित्य योग बन रहा है और चंद्र-मंगल महालक्ष्मी योग बना रहे हैं। इस तरह ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस पर्व पर किए गए स्नान-दान और पूजा-पाठ का पूरा फल जल्दी ही मिलेगा।

अश्विन अमावस्या (Sarva Pitru​​​​​​​ Moksha Amavasya 2021) पर पितृ तृप्ति के लिए कर्म
1.
घर पर ही पानी में तिल डालकर नहाएं।
2. इस पर्व पर चावल बनाकर पितरों को धूप दें।
3. सुबह पीपल के पेड़ पर जल और कच्चा दूध चढ़ाएं।
4. पितरों की तृप्ति के लिए संकल्प लेकर अन्न और जल का दान करें।
5. ब्राह्मण भोजन करवाएं या किसी मंदिर में 1 व्यक्ति के जितना भोजन दान करें।
6. बनाए गए भोजन में से सबसे पहले गाय फिर कुत्ते और फिर कौवे और इसके बाद चीटियों के लिए हिस्सा निकालें।

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