सार
इस बार 5 अक्टूबर, मंगलवार को पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) की चतुर्दशी तिथि है। धर्म ग्रंथों में इस तिथि को बहुत ही विशेष माना गया है। वैसे तो श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है, लेकिन श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर सामान्य रूप से मृत हुए परिजनों का श्राद्ध करने की मनाही है।
उज्जैन. महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु किसी के द्वारा शस्त्र (हथियार) से हुई हो।
किस दिन करें इस तिथि पर मृत हुए परिजनों का श्राद्ध?
धर्म ग्रंथों के अनुसार यदि किसी परिजन की मृत्यु सामान्य रूप से चतुर्दशी तिथि पर हुई हो तो उसका श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) मृत्यु तिथि पर न करते हुए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (Sarvapitri Amavasya 2021) पर करना चाहिए। ऐसा न करने पर श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। चतुर्दशी तिथि पर श्राद्ध करने से किस प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं, ये भी महाभारत में बताया गया है।
ये भी लिखा है ग्रंथों में…
1. महाभारत के अनुसार, जिन पितरों की मृत्यु स्वभाविक रूप से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्ध करने वाला विवादों में घिर जाते हैं। उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
2. चतुर्दशी श्राद्ध के संबंध में ऐसा ही वर्णन कूर्मपुराण में भी मिलता है कि चतुर्दशी को श्राद्ध करने से अयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
3. याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार भी चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। इस दिन श्राद्ध करने वाला विवादों में फंस सकता है।
4. जिन पितरों की मृत्यु किसी हथियार से हुई हो और उनकी मृत्यु तिथि पता न हो तो, उनका श्राद्ध इस तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं व अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
5. अगर हथियार से मारे गए परिजन की मृत्यु तिथि ज्ञात हो तो उस तिथि के अलावा चतुर्दशी को भी उनके लिए तर्पण और पिंडदान जरूर करना चाहिए।
6. चतुर्दशी तिथि पर यदि किसी परिजन की मृत्यु स्वभाविक रूप से हुई हो तो उनकी आत्मा की शांति के लिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (Sarvapitri Amavasya 2021) को श्राद्ध करना चाहिए।
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