मंत्र जाप से दूर हो सकता है वास्तु दोष, जानिए किस दिशा के दोष दूर करने के लिए कौन-से मंत्र का जाप करें

घर बनवाते समय जाने-अनजाने में ऐसी गलती हो जाती है, जिससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। इसके अलावा कई बार घर की साज-सजावट और घर में रखे सामानों से भी वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। वास्तु दोष का असर कम करने के लिए वास्तु में कई उपाय बताए गए हैं, इनमे से एक है वास्तु मंत्र।

Asianet News Hindi | Published : Nov 8, 2020 3:36 AM IST

उज्जैन. घर बनवाते समय जाने-अनजाने में ऐसी गलती हो जाती है, जिससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। इसके अलावा कई बार घर की साज-सजावट और घर में रखे सामानों से भी वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। वास्तु दोष का असर कम करने के लिए वास्तु में कई उपाय बताए गए हैं, इनमे से एक है वास्तु मंत्र। जिस दिशा में वास्तु दोष हो, उस दिशा के अनुसार मंत्र का जाप करना चाहिए…

उत्तर दिशा मंत्र
उत्तर दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए ऊँ कुबेराय नमः मंत्र का जप करें।

वायव्य दिशा मंत्र (उत्तर-पश्चिम)
इस दिशा के देवता वायु हैं। यह दिशा दोषपूर्ण होने पर सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग हो सकते हैं। इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए ऊँ वायवै नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।

दक्षिण दिशा मंत्र
दक्षिण दिशा के देवता यमराज हैं। ऊँ यमाय नमः मंत्र के जाप से से इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है। साथ ही यम मंत्र के पाठ से मनुष्य को अपने जाने-अनजाने किए गए पापों से भी छुटकारा मिलता है।

आग्नेय दिशा मंत्र (दक्षिण-पूर्व)
आग्नेय दिशा के देवता अग्नि हैं। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर ऊं अं अग्ने नम: मंत्र का जप लाभप्रद होता है। इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष न बनाएं।

पूर्व दिशा मंत्र
पूर्व दिशा के देवता भगवान इन्द्र हैं। इन्द्र देव को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ऊँ इन्द्राय नमः का जप करना इस दिशा के दोष को दूर कर देता है।

ईशान दिशा मंत्र (पूर्व-उत्तर)
इस दिशा के देवता भगवान शिव हैं। इस दिशा का वास्तु दोष दूर करने और संतान व सुखी परिवार के लिए ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करें।

पश्चिम दिशा मंत्र
पश्चिम दिशा के देवता वरूण हैं। इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर ॐ अपां पतये वरुणाय नमः
मंत्र का का नियमित जाप करें।

नैऋत्य दिशा मंत्र (दक्षिण-पश्चिम)
नैऋत्य दिशा के देवता नैऋत हैं। भगवान नैऋत के मंत्र ऊँ नैऋताय नमः के जाप से इस दिशा का वास्तु दोष कम किया जा सकता है।

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