
उज्जैन. मान्यता है कि भानु सप्तमी पर विधि-विधान से व्रत करने पर संकटों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। जब-जब भी रविवार को सप्तमी तिथि का योग बनता है, तब-तब भानु सप्तमी का व्रत किया जाता है। इस बार रविवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी होने से भानु सप्तमी का योग बन रहा है। मान्यता है कि इस व्रत की कथा पढ़ने और सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अगर कुछ विशेष उपाय इस दिन किए जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है। आगे जानिए भानु सप्तमी की कथा और उपाय…
ये है भानु सप्तमी की कथा (Bhanu Saptami Ki Katha)
प्राचीन समय में इंदुमती नाम की एक वैश्या थी। एक बार उसने ऋषि वशिष्ठ से पूछा कि “मुनिराज मैंने आज तक कोई भी धार्मिक काम नहीं किया है लेकिन मेरी इच्छा है कि मैं मृत्यु के बाद मुझे मोक्ष प्राप्त हो तो यह कैसे प्राप्त हो सकता है?”
वशिष्ठ मुनि ने कहा कि “इसके लिए तुम्हें भानु सप्तमी का व्रत करना चाहिए। जो भी महिला सच्चे मन से भानु सप्तमी का व्रत और पूजा करती है, उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है।” वशिष्ठ मुनि की बात सुनकर इंदुमती ने भानु सप्तमी व्रत का पालन किया, जिससे मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई और वो अप्सराओं की नायिका बन गई।
ये हैं भानु सप्तमी के उपाय (Bhanu Saptami Ke Upay)
1. भानु सप्तमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सूर्य देवता को तांबे के लोटे में पानी लेकर अर्ध्य दें और आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें।
2. इस दिन सूर्यदेव के मंत्रों का जाप विधि-विधान करें। ऐसा करने से सूर्यदेव आपकी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं…
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
- ॐ सूर्याय नम:
- ॐ घृणि सूर्याय नम:
3. भानु सप्तमी पर ब्राह्मण को गेहूं, गुड़, लाल कपड़े, घी आदि चीजों का दान करें।
4. बहते हुए पानी में तांबे का टुकड़ा प्रवाहित करें। इससे भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।
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