
अयोध्या (उत्तर प्रदेश) । राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी में गर्भ संस्कार का कोर्स संचालित किया जाएगा। तीन विषय का यह कोर्स 6 माह का होगा। इस कोर्स के माध्यम से सदियों पुरानी उस विधा को एक बार फिर जीवंत करने की कोशिश हो रही है, जिसे अब तक हम धार्मिक ग्रंथों अथवा इतिहास के पन्नों में ही पढ़ा करते थे। दावा है कि अगर यह प्रयोग सफल हो गया तो हम बच्चे को गर्भ में ही संस्कार के साथ शिक्षा भी दे सकेंगे।
दंपतियों को मिलेगी शिक्षा
इस पाठ्यक्रम में दंपतियों को उसी विधा से शिक्षित करेंगे, जिसे सदियों पहले धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। इसे गर्भ संस्कार का नाम दिया गया है।
इस तरह दी जाएगी शिक्षा
पाठ्यक्रम में दावा किया जा रहा है कि गर्भ संस्कार में गर्भ धारण करते समय अनुकूल वातावरण, मनोस्थिति, समय, भोजन, स्थान और आसपास के माहौल ही नहीं बल्कि उस समय धारण करने वाले वस्त्र तक के बारे में भी शिक्षा दी जाएगी। गर्भ धारण करने के बाद किस आचरण और व्यवहार का बालक या बालिका चाहिए उसके अनुसार आचरण की शिक्षा दी जाएगी।
गर्भ में संस्कार और ज्ञान ग्रहण करने के ढेरों उदाहरण
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि बालक के गर्भ में संस्कार और ज्ञान ग्रहण करने के ढेरों उदाहरण मौजूद हैं, लेकिन शर्त यह है कि इसके लिए गर्भ संस्कार का ज्ञान माता और पिता दोनों को होना चाहिए। यही नहीं, गर्भ धारण करने के समय का दिन, समय से लेकर वातावरण, नक्षत्र और महिला पुरुष की मनोदशा अनुकूल होनी चाहिए। गर्भधारण करने के बाद जिस तरह के बच्चे की कामना हो उसी के अनुसार मां को आचरण करना चाहिए और उसी माहौल और वातावरण में रहना चाहिए।
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