
लखनऊ(Uttar Pradesh ). सुप्रीम कोर्ट ने जेल में कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने के खतरे को देखते हुए यूपी की जेलों से 11 हजार कैदी छोड़ने का आदेश दिया है। बीते 27 मार्च को हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक के दौरान इसका निर्णय लिया गया था। इन बंदियों को फिलहाल 8 सप्ताह के लिए छोड़ने का निर्णय लिया गया है। इसमें से कुछ को जमानत तो कुछ को पैरोल पर छोड़ने का आदेश जारी किया गया है। 11 हजार कैदियों में 8500 विचाराधीन और 2500 सजायाफ्ता कैदी शामिल हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को एक अहम निर्देश दिया था कि सात साल से कम की सजा काट रहे या सात साल से कम की सजा के आरोपों में जेल में बंद अंडर ट्रायल कैदियों को शर्तों के आधार पर छोड़ा जाए । कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 65 साल से ऊपर की उम्र के कैदियों को भी नियमों व शर्तों के दायरे में रहते हुए छोड़ने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को एक उच्च शक्ति समिति का गठन करने को कहा जो यह फैसला लेती कि किन कैदियों को सशर्त जमानत दी जा सकती है। 27 मार्च को हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में इस समिति की बैठक संपन्न हुई जिसमें उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजी जेल आनंद कुमार शामिल हुए थे। जिसके बाद 11 हजार कैदियों को छोड़ने पर अंतिम निर्णय लिया गया था।
लखनऊ व सोनभद्र से शुरुआत
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने कैदियों को छोड़ने की शुरुआत कर दी है। यह शुरुआत लखनऊ और सोनभद्र जेल से की गयी है। सोनभद्र जेल से 27 और लखनऊ जेल से 50 बंदियों को छोड़ा गया है। फिलहाल इन्हे अभी 8 सप्ताह के लिए रिहा किया गया है। सशर्त छोड़े गए इन कैदियों को किसी भी समय बुलाने पर इन्हे अपने सम्बंधित थाने या अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ेगा।
71 जेलों में बंद हैं एक लाख से अधिक कैदी
यूपी की 71 जेलों में 1.1 लाख कैदी फिलहाल बंद है। डीजी जेल आनंद कुमार के मुताबिक अब प्रभावी रूप से 11 हजार बंदियों को छोड़े जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसमें 8500 विचाराधीन और 2500 सजायाफ्ता कैदी हैं। फिलहाल सभी को 8 सप्ताह के लिए छोड़ा जा रहा है।
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