गुजरात से आई स्पेशल ट्रेन से आगरा नहीं उतर पाए 1203 श्रमिक, ले जाए गए कानपुर, 250 रुपये देना पड़ा किराया

थर्मल स्क्रीनिंग कराने वाले 1203 यात्रियों का रिकॉर्ड स्टेशन पर दर्ज किया गया। जबकि रोडवेज के मुताबिक उनकी बसों से 1265 यात्री अलग-अलग जिलों के लिए रवाना हुए। 52 जिलों के इन यात्रियों में ज्यादातर पूर्वांचल के थे। इन्हें 42 बसों से भेजा गया।

Asianet News Hindi | Published : May 4, 2020 4:06 AM IST / Updated: May 04 2020, 10:48 AM IST

कानपुर (Uttar Pradesh) । लॉकडाउन के चलते गुजरात में फंसे यूपी के 1203 श्रमिकों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंची। इसका अंतिम स्टेशन आगरा था। लेकिन, वहां रुकने की अनुमति न मिलने से ट्रेन को कानपुर लाना पड़ा। इस दौरान आगरा तक के लिए प्रति श्रमिक से 250 रुपये किराया लिया गया। हालांकि यहां तक स्लीपर का किराया 470 रुपये है। बाकी प्रति टिकट 220 रुपये प्रदेश सरकार ने दिए। 

यह है पूरा मामला
अहमदाबाद के साबरमती स्टेशन से 20 कोचों वाली यह ट्रेन शनिवार शाम चार बजे रवाना हुई थी। इसका अंतिम स्टेशन आगरा था। लेकिन, आगरा में कोरोना संक्रमण के मामले अधिक होने से वहां के जिला प्रशासन ने 1200 से अधिक मजदूरों को अपने यहां नहीं उतारना चाहता था। हालांकि ट्रेन के ड्राइवर ने आगरा में ट्रेन रोक दी। क्योंकि, रेल प्रशासन को आधिकारिक रूप से इस ट्रेन को आगरा से आगे ले जाने की जानकारी नहीं थी। इसके बाद अफसरों के फोन और रेलवे बोर्ड तक को जानकारी दी गई। अनुमति लेकर ट्रेन आगरा से कानपुर सेंट्रल के लिए रवाना हुई।


थर्मल स्क्रीनिंग के बाद किए गए रवाना
कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर पहुंचे इन यात्रियों की सिटी साइड में थर्मल स्क्रीनिंग की गई। जिला प्रशासन की तरफ से उनके हाथों पर अपने-अपने जिलों में पहुंचकर क्वारंटीन रहने की मुहर लगा दी गई। यहां पर नाश्ता और पानी की बोतलें दी गईं। रेलवे की तरफ से भी बिस्कुट के पैकेट और पानी की बोतलें उपलब्ध कराई गईं। खबर है कि इस दौरान आगरा तक के लिए प्रति श्रमिक से 250 रुपये किराया लिया गया। हालांकि यहां तक स्लीपर का किराया 470 रुपये है। बाकी प्रति टिकट 220 रुपये प्रदेश सरकार ने दिए। 

पूर्वांचल के थे ज्यादा लोग
थर्मल स्क्रीनिंग कराने वाले 1203 यात्रियों का रिकॉर्ड स्टेशन पर दर्ज किया गया। जबकि रोडवेज के मुताबिक उनकी बसों से 1265 यात्री अलग-अलग जिलों के लिए रवाना हुए। 52 जिलों के इन यात्रियों में ज्यादातर पूर्वांचल के थे। इन्हें 42 बसों से भेजा गया।

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