वाराणसी की दो अलग-अलग कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद मामले से जुड़े दो मुकदमों की मंगलवार को सुनवाई की जानी है। पहला केस मस्जिद के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और दूसरा केस समूचे ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपे जानी की मांग से संबंधित है।
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद मामले से जुड़े दो मुकदमों की मंगलवार को सुनवाई की जाएगी। वाराणसी के दो अलग-अलग कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी। बता दें कि इस मामले में पहला केस ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित सिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच या अन्य वैज्ञानिक पद्धति से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जांच कराने की मांग से संबंधित है। वहीं दूसरा केस ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की पूजा पाठ से संबंधित मामला है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में पहले केस की सुनवाई होगी। वहीं दूसरे केस की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में होगी।
दो अलग-अलग मामलों पर होगी सुनवाई
एडवोकेट कमिश्नर की कमीशन की कार्रवाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में 16 मई को पत्थर की ठोस संरचना मिली थी। जिसके बाद श्रृंगार गौरी केस की वादिनी महिलाओं सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और राखी सिंह ने यह दावा किया कि वह पत्थर प्राचीन शिवलिंग है। वादिनी महिलाओं ने मांग की थी कि कथित शिवलिंग को बिना कोई नुकसान पहुंचाए इसके इर्दगिर्द के एरिया की कार्बन डेटिंग की जांच होनी चाहिए। जिससे कि यह पता चल सके कि शिवलिंग कितना पुराना है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हो सके कि कथित शिवलिंग कितना लंबा और कितना चौड़ा है और अरघा कितना गहरा है।
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कोर्ट से हुई हैं 3 मांगे
इसका जवाब देने के लिए बीते 7 अक्टूबर को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से कोर्ट से समय मांगा गया था। इस पर जिला जज ने कहा था कि 11 अक्टूबर को मसाजिद कमेटी का पक्ष सुनने के बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी। वहीं विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी किरन सिंह ने ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। किरन सिंह ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंप दिया जाए। साथ ही वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की पूजा-पाठ, भोग-राग और श्रृंगार का अधिकार हिंदुओं को दे दिया जाए। बीते 7 अक्टूबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी की छुट्टी थी। जिस कारण इस मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई थी।
1 साल पहले दाखिल किया गया था केस
इसके बाद सुनवाई की अगली तारीख 11 अक्टूबर तय की गई थी। बता दें कि विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व 18 अगस्त 20 को दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। जिसमें नियमित दर्शन और पूजा-पाठ के अलावा ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम की मांग की थी। जिसके बाद अदालत ने स्थित जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और 3 दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था। वहीं इस मांग के विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य नहीं है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद वाराणसी के जिला जज की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है।