किसी की फांसी टालने को रात 3 बजे खुली थी कोर्ट; कहीं हाईजैक हुआ विमान,ये हैं देश के 5 चर्चित केस

निर्भया कांड में दोषियों का डेथ वारंट जारी हो चुका है। उन्हें 22 जनवरी को फांसी पर लटकाया जाएगा। आजादी के बाद एक साथ चार लोगों को फांसी देने का ये पहला मामला होगा। देश में इसके पूर्व की पांच फांसी के सजा काफी चर्चित रही थी। इसमें किसी की फांसी की सजा टालने के लिए रात 3 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी तो किसी को बचाने के लिए विमान को हाईजैक कर लिया गया था।

Asianet News Hindi | Published : Jan 8, 2020 4:54 AM IST / Updated: Jan 08 2020, 11:05 AM IST

लखनऊ(Uttar Pradesh ). निर्भया कांड में दोषियों का डेथ वारंट जारी हो चुका है। उन्हें 22 जनवरी को फांसी पर लटकाया जाएगा। आजादी के बाद एक साथ चार लोगों को फांसी देने का ये पहला मामला होगा। देश में इसके पूर्व की पांच फांसी के सजा काफी चर्चित रही थी। इसमें किसी की फांसी की सजा टालने के लिए रात 3 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी तो किसी को बचाने के लिए विमान को हाईजैक कर लिया गया था। लेकिन इन सब के बावजूद भी उन्हें फांसी दे दी गई। 

बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को  दिल्ली में चलती बस में निर्भया के साथ खौफनाक वारदात को अंजाम देने वाले चार दरिंदों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद इन चार आरोपियों को 22 जनवरी की सुनह फांसी पर लटकाया जाएगा। इसके पहले दोषियों की ओर से दी गई दया याचिका की अर्जी को राष्ट्रपति द्वारा ठुकराया जा चुका है। 

आजादी के बाद एक साथ चार लोगों की फांसी का पहला मामला 
आजादी के बाद रेप व हत्या के मामले में एक साथ चार लोगों की फांसी का ये पहला मामला होगा। इसके पहले रेप व हत्या के मामले में पश्चिम बंगाल में धनञ्जय चटर्जी नाम के आदमी को फांसी पर लटकाया गया था। उसने भी एक मासूम  दुष्कर्म करने के बाद उसकी  बेरहमी से हत्या कर दी थी। निर्भया कांड के चारों  आरोपियों को दिल्ली के तिहाड़ जेल में  फांसी दी जाएगी। 

इसके पहले ये थे देश में फांसी के चर्चित मामले 

मकबूल बट- कश्मीर के अलगाववादी नेता व आतंकी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक मकबूल बट को 11 फरवरी 1984 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। परिजनों ने उसका शव नहीं लिया तो उसका शव भी तिहाड़ जेल में ही दफन किया गया है। मकबूल के साथियों ने उसे छुड़ाने के लिए एक विमान का अपहरण तक कर लिया था लेकिन नाकाम रहे थे। 

धनंजय चटर्जी- धनंजय चटर्जी को एक किशोरी के साथ रेप व हत्या के मामले में दोषी मानते हुए 14 अगस्त 2004 को कोलकाता के अलीपोर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। धनंजय ने दक्षिणी कोलकाता के एक अपार्टमेंट में 5 मार्च 1990 को एक किशोरी के साथ रेप के बाद उसकी निर्मम हत्या कर दी थी। धनंजय उसी अपार्टमेंट में सिक्योरिटी गार्ड था। 

अजमल कसाब- लश्कर ए तैयबा के आतंकी आमिर अजमल कसाब को मुम्बई के यरवडा जेल में 21 नवंबर 2012 को फांसी पर लटकाया गया था। कसाब और उसके साथियों ने 26 नवंबर 2008 को मुम्बई के पांच प्रमुख स्थानों पर हमला किया था जिसमे 166 लोगों की मौत हो गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। 

अफजल गुरू- देश की संसद पर हुए हमले में मुख्य भूमिका निभाने वाले अफजल गुरू को दिल्ली के तिहाड़ जेल में 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी। 13 दिसंबर 2001 को देश की दिल्ली में संसद भवन पर पांच आतंकियों ने हमला किया था। इसमें आतंकियों सहित कुल 14 लोग मारे गए थे। हमले में लश्कर ए तैयबा व जैश ए मोहम्मद की भूमिका सामने आई थी। फांसी के अफजल गुरू का शव तिहाड़ जेल में ही दफन कर दिया गया था। 

याकूब मेमन- याकूब मेमन को 12 मार्च 1993 को मुम्बई में हुए बम धमाकों में दोषी पाया गया था। याकूब पेशे से चार्टड एकाउंटेंट था। उसे 30 जुलाई 2015 को फांसी पर लटकाया गया था। याकूब मेमन की फांसी की सजा रोकने की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में रात के 3 बजे सुनवाई हुई थी। यह अब तक का पहला ऐसा मामला था। लेकिन इसके बावजूद भी मेमन की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। मुंबई बम धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और तकरीबन 700 लोग घायल हुए थे। 
 

Share this article
click me!