500 रूपए के लिए 5 दोस्तों ने मिलकर किया था जिगरी दोस्त का कत्ल, पुलिस ने 22 माह बाद ऐसे खोला राज

जुए की लत और चंद रुपयों की लालच में  जिगरी दोस्तों में इतनी बड़ी दुश्मनी हो गई कि उन्होंने अपने ही एक साथी को महज 500 रूपए के लिए मार डाला। 

कानपुर(Uttar Pradesh). जुए की लत और चंद रुपयों की लालच में  जिगरी दोस्तों में इतनी बड़ी दुश्मनी हो गई कि उन्होंने अपने ही एक साथी को महज 500 रूपए के लिए मार डाला। शव की पहचान न हो सके इसके लिए उसका मुंह इटों से कुचल दिया। इस घटना के बाद आरोपियों को पकड़ने में पुलिस को 22 महीने लग गए। लेकिन जब पुलिस ने इसका खुलासा किया तो मृतक के परिजन व दोस्त स्तब्ध रह गए। उन्हें भरोसा ही नहीं हो रहा था कि आखिर कैसे महज 500 के लिए कोई अपने करीबी दोस्त को मार सकता है।

कानपुर के कुली बाजार के कोरियाना मोहल्ला निवासी बशीर अहमद का बेटा जुबेर 13 अगस्त 2018 की रात रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गया था। इसके बाद 15 अगस्त को मां नसीम बेगम ने अनवरगज थाने में गुमशुदगी लिखाई थी। उधर 15 अगस्त की सुबह माल गोदाम में युवक का शव मिलने पर पुलिस पहुंची। बताया जा रहा है कि पोस्टमार्टम में रिपोर्ट में हत्या उजागर होने पर भी ना मुकदमा लिखा गया और ना ही शिनाख्त कराने की पुलिस ने कोई कोशिश की। इसके बाद लावारिस शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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6 माह पूर्व मां ने फिर से लगाई मदद की गुहार तो हुआ खुलासा 
6 माह पूर्व एक चश्मदीद मोहम्मद गौस ने जुबेर की मां को जानकारी दी तो मां ने पुलिस से एक बार फिर गुहार लगाई। जिसके बाद पुलिस हरकत में आई। दरअसल जुबेर की हत्या के एक चश्मदीद मोहम्मद गौस ने उसकी मां को जुबैर की हत्या के बारे में बताया था। जिसके बाद उसकी मां ने पुलिस को इस मामले से अवगत कराया। इसके बाद पुलिस ने तेजी दिखाते हुए इस मामले का खुलासा कर दिया ।

500 रूपए के लिए की थी हत्या 
जुआ खेलने के दौरान जुबैर के दोस्त रशीद, बबुआ लोडर, बशर, अफरोज व न्यास ने मिलकर जुबेर को मारा था। एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि मृतक के साथी मोहम्मद गौस के बयान के आधार पर और कपड़े की पहचान डीएनए की रिपोर्ट में सामने आया कि माल गोदाम में मिला हुआ शव जुबेर का था। एसएसपी दिनेश पी के अनुसार जुबेर की हत्या का मुख्य आरोपी सलाखों के पीछे है और उसके साथी बबुआ लोडर की तलाश भी जारी है। पुलिस की दो टीमों को लगाया गया है। जल्द उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस इस बिंदु पर भी जांच कर रही है कि आखिर 22 महीने तक चश्मदीद गवाह मोहम्मद गौस ने इस मामले को पुलिस से क्यों छुपाया।

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