सहारनपुर: प्रदर्शन के नाम पर उपद्रव करने वाले 8 आरोपी जेल से हुए रिहा, पुलिस पर लगाया बेवजह गिरफ्तारी का आरोप

यूपी के सहारनपुर में ऐसे ही उपद्रवियों की हुई गिरफ्तारी से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया। सहारनपुर की एक अदालत ने पैगंबर मोहम्‍मद के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा की विवादित टिप्‍पणी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए आठ युवकों के मुकदमे को खारिज करते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया है। 

Hemendra Tripathi | Published : Jul 5, 2022 6:39 AM IST

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीते माह जूमे की नमाज के बाद भाजपा की निष्काशित प्रवक्ता नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) के खिलाफ भारी विरोध देखने को मिला। जिसमें यूपी पुलिस (UP Police) ने 400 से अधिक उपद्रवियों की गिरफ्तारी करके विभागीय कार्रवाई की। यूपी के सहारनपुर (Saharanpur) में ऐसे ही उपद्रवियों की हुई गिरफ्तारी से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया। सहारनपुर की एक अदालत ने पैगंबर मोहम्‍मद के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा की विवादित टिप्‍पणी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए आठ युवकों के मुकदमे को खारिज करते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया है। 

जेल से रिहा हुए 8 उपद्रवी, जज ने पुलिस को भी लगाई फटकार
अदालत के आदेश के बाद जिले में आगजनी व तोड़फोड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए आठों युवक जिला कारागार से रिहा कर दिए गए हैं। पुलिस अधीक्षक (नगर) राजेश कुमार ने सोमवार को अदालत से मुकदमों के खारिज किये जाने की पुष्टि की। सहारनपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) अनिल कुमार ने जुमे की नमाज के बाद हुए प्रदर्शन में 10 जून को गिरफ्तार किए गए आठ मुस्लिम युवकों पर दर्ज मुकदमे को खारिज किए जाने का आदेश पारित किया और पुलिस को फटकार लगाई। 

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पुलिस पर बेवजह गिरफ्तारी करने का लगाया आरोप
नुपुर शर्मा की टिप्पणी के विरोध में सहारनपुर में 10 जून को प्रदर्शन में पुलिस ने 80 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था। मामलों में आठ युवकों की तरफ से अधिवक्‍ता मोहम्मद अली, मोहम्मद हमजा और शादान शाह पेश हुए। अधिवक्ताओं ने बताया कि जो आठ युवक रिहा किए गए हैं, उनमें मोहम्मद अली, अब्दुल समद, कैफ अंसारी, महराज, आसिफ, सुभान, फुरकान और गुलफाम हैं। युवकों ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा उन्हें बेवजह गिरफ्तार किया गया था। अधिवक्‍ता अली ने आरोप लगाया कि 10 जून को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे युवाओं के खिलाफ पुलिस ने गलत तरीके से कार्रवाई करते हुए आठों बेकसूर युवकों को न केवल जेल भेजा बल्कि उनकी निर्ममता पूर्वक पिटाई भी की थी।

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