वकालत की पढ़ाई करने वाली छात्रा 21 साल की उम्र में बनी प्रधान, बोली-बनाऊंगी स्मार्ट गांव

आरुषि ने बताती हैं कि इससे पहले साल 2000 में उनकी दादी विद्यावती सिंह ने इस पद पर चुनाव जीता था। उससे पहले मेरे परदादा यहां चुनाव जीते थे। यह 1500 की आबादी वाला एक छोटा सा गांव है। मैं परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए खुश हूं।
 

गोंडा (Uttar Pradesh) । वकालत की पढ़ाई कर रही 21 साल की उम्र में आरुषि सिंह इन दिनों सुर्खियों में हैं, जो वजीरगंज ब्लॉक के सेहरिया में ग्राम सभा प्रधान पद पर 384 मतों से जीत हासिल की हैं। आरुषि का कहना है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता की व्यवस्था बेहतर करने के साथ ही जन्मभूमि को वह स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करना चाहती हैं।

पीसीएस बनने का है सपना
आरुषि सिंह की मां गरिमा सिंह डिस्ट्रिक्ट जज की रीडर हैं, जबकि उनके पिता धर्मेंद्र सिंह लखनऊ में पुलिस आयुक्त के स्टेनो हैं। वहीं, आरुषि सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। आरुषि वकालत में ग्रेजुएशन करने के बाद पीसीएस की परीक्षा की तैयारी शुरू कर देंगी।

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गांव को लेकर देखी है कुछ ऐसा सपना
प्रधान बनने के बाद आरुषि सिंह कहती हैं कि यह मेरे लिए सपना सच होने जैसा है। अब मेरी ड्यूटी है कि मैं अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी और बेहतर सार्वजनिक सेवा के साथ इसे एक स्मार्ट गांव बनाऊं।

दादी और परदादा भी थे प्रधान
आरुषि ने बताती हैं कि इससे पहले साल 2000 में उनकी दादी विद्यावती सिंह ने इस पद पर चुनाव जीता था। उससे पहले मेरे परदादा यहां चुनाव जीते थे। यह 1500 की आबादी वाला एक छोटा सा गांव है। मैं परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए खुश हूं।

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