अलीगढ़ के बाद प्रयागराज में मुस्लिम परिवारों ने की बप्पा की पूजा, हिंदूओं के साथ मिलकर पंडाल में करते ऐसा काम

यूपी के जिले अलीगढ़ के बाद प्रयागराज में गणेश चतुर्थी को मुस्लिम परिवार ने बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। इतना ही नहीं बप्पा की सुबह और शाम होने वाली आरती में मुस्लिम परिवार के लोग शामिल होते है, गणेश जी की आरती करते है और उसके बाद प्रसाद के वितरण में सहयोग भी करते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 2, 2022 8:59 AM IST

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की संगमनगरी प्रयागराज में गणेशोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह उत्साह तब दोगुना और होता है जब मुस्लिम परिवार हिंदूओं के साथ मिलकर पूजा अर्चना करते हैं। राज्य के अलीगढ़ जिले के बाद अब ऐसा यहां पर देखने को मिला है। शहर में एक मोहल्ला ऐसा भी हैं, जहां हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम परिवार भी गणेश चतुर्थी बड़ी धूमधाम से मनाते है। यहां के नवाब युसूफ रोड की गली में कई मुस्लिम लोग मिलकर बप्पा की प्रतिमा स्थापित करतें है। उसके बाद पूरी श्रद्धा से पूजा और अर्चना करते हैं। इतना ही नहीं हिंदू परिवारों के साथ मिलकर गणपति बप्पा मोरिया के जमकर जयकारे भी लगाते हैं।

गणेश स्थापना में मुस्लिमों का रहता है सहयोग
शहर में आयोजन मंडल की सदस्य का कहना है कि गणेशोत्सव में मुस्लिम का सहयोग ज्यादा रहता है। बप्पा के पंडाल से लेकर प्रतिमा विसर्जन तक हम लोगों के साथ पूरा सहयोग करते हैं। इतना ही नहीं शाम और सुबह की आरती में भी शामिल होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि त्योहारों में न कोई हिंदू और न मुसलमान, सब मिलकर एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं। हिंदू परिवार भी मुस्लिमों के त्योहार में उनके साथ रहते हैं। बुर्के में मुस्लिम महिलाएं पंडाल में गणेश आरती करती हैं तो वहीं दूसरी ओर मुस्लिम भाई श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करते हैं। साथ ही कतार में खड़ी होकर एक साथ भगवान गणेश का हिंदू और मुस्लिम महिलाएं दर्शन करती है।

मुस्लिम महिलाओं और युवकों ने कहीं ये बात
पंडाल में शामिल मुस्लिम महिलाएं कहती है कि हम लोग सब त्योहार साथ मिलकर मनाते हैं। इससे सभी को यह संदेश देना चाहती हूं कि आपसी भेदभाव खत्म कर एक साथ रहें और एक-दूसरे के त्योहारों में इसी तरह से मिलजुलकर खुशी-खुशी मनाएं। शहर में गणेशोत्सव में शामिल हुए मुस्लिम युवकों का कहना है कि सुबह और शाम सब गणेश जी के पंडाल में आ जाते हैं। उसके बाद सभी लोग मिलकर पूजा करते हैं, भगवान गणेश की आरती करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके अलावा दो सितंबर शुक्रवार को गणेश जी की प्रतिमा विसर्जित होगी उसमें भी हम लोग शामिल होंगे।

मां-बाप करना चाहते थे शादी, एक टीचर की प्रेरणा ने बदल दी जिंदगी, जानिए मलिन बस्ती की पहली ग्रेजुएट की कहानी

Share this article
click me!