CM योगी से मिले मुस्लिम धर्मगुरु, बोले-अयोध्या में ऐसी जगह मिले जमीन जहां बने इस्लामिक शिक्षा का हब

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोमवार देर शाम शिया और सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, जोकि करीब 50 मिनट तक चली। इस दौरान मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए एक ऐसी जगह जमीन देने का अनुरोध किया है जो मॉडर्न एजुकेशन के हिसाब से इस्लामिक शिक्षा का हब भी बन सके।

लखनऊ (Uttar Pradesh). अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोमवार देर शाम शिया और सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की, जोकि करीब 50 मिनट तक चली। इस दौरान मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए एक ऐसी जगह जमीन देने का अनुरोध किया है जो मॉडर्न एजुकेशन के हिसाब से इस्लामिक शिक्षा का हब भी बन सके। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कररते हुए प्रदेश में शांतिपूर्ण व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीएम योगी को बधाई दी। बता दें, 17 नवंबर को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक होनी है। अयोध्या मामले में मुख्य पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील और पर्सनल लाॅ बाेर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा, इस बैठक में तय होगा कि कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी है या नहीं। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्षकार ने कही ये बात
मुख्य मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा, कोर्ट के फैसले के बाद सरकार को अब मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देनी है। हम चाहते हैं कि अयोध्या में 1991 में केंद्र द्वारा विवादित क्षेत्र समेत अधिग्रहीत की गई 67 एकड़ में से ही हमारी सुविधा के हिसाब से मस्जिद के लिए जमीन दी जाए। लोग कह रहे हैं मस्जिद के लिए जमीन 14 कोस के बाहर दी जाए। अगर ऐसा होता है, तो हम जमीन लेने का प्रस्ताव खारिज कर देंगे। 

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वहीं, अयोध्या के स्थानीय मौलवी मौलाना जलाल अशरफ ने कहा, मुस्लिम जमीन खरीदकर खुद की मस्जिद बना सकता है, इसके लिए हम सरकार पर निर्भर नहीं हैं। कोर्ट या सरकार हमारी भावनाओं की कद्र करती है तो पांच एकड़ जमीन अधिग्रहित क्षेत्र में ही दी जानी चाहिए। इसकी वजह है कि उस क्षेत्र में 18वीं सदी के सूफी संत काजी कुदवाह की दरगाह है। 

विहिप नहीं करना चाहता मंदिर के मॉडल व ट्रस्ट के स्वरूप से समझौता
बता दें, अयोध्या पर फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए थे। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगी। यही ट्रस्ट राम मंदिर का निर्माण और संचालन करेगा। इसी को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का कहना है कि मंदिर का मॉडल और चित्र तैयार है। उम्मीद है कि सरकार ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे समस्या पैदा हो। विहिप उपाध्यक्ष और आंदोलन से लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में मौजूद रहे चंपत राय का कहना है, मंदिर को लेकर ट्रस्ट के प्रबंधन में सिर्फ हिंदुओं को ही शामिल किया जाना चाहिए। ट्रस्ट में सरकार का कोई व्यक्ति नहीं आ सकता। अयोध्या रामानंद संप्रदाय की है और सिर्फ सगुण परंपरा के शैव-वैष्णव को जगह मिले।

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