अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का शव बाघम्बरी पीठ के एक कमरे में पंखे से लटकता हुआ मिला है। उसके पास एक सुसाइड नोट भी मिला है। सूत्रों की मानें तो उस सुसाइड नोट में उत्तराधिकारी, पीठ व अन्य संपत्तियों का शिष्यों में बंटवारा संबंधी बातें लिखी गई हैं।
प्रयागराज। अखाड़ा परिषद (Akhada Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (mahant Narendra Giri) के साथ विवादों की वजह से सुर्खियों में रहे उनके उत्तराधिकारी महंत आनंद गिरी (Mahant Anand Giri) ने अपनी जान को खतरा बताया है। आनंद गिरी ने आशंका जताई है कि उनके गुरु नरेंद्र गिरी की तरह उनकी भी हत्या की जा सकती है।
महंत नरेंद्र गिरी का बाघम्बरी पीठ में मिली ही लाश
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का शव बाघम्बरी पीठ के एक कमरे में पंखे से लटकता हुआ मिला है। उसके पास एक सुसाइड नोट भी मिला है। सूत्रों की मानें तो उस सुसाइड नोट में उत्तराधिकारी, पीठ व अन्य संपत्तियों का शिष्यों में बंटवारा संबंधी बातें लिखी गई हैं। महंत नरेंद्र गिरी ने अपने किसी शिष्य से परेशान होने की बात भी लिखी है। हालांकि, पुलिस ने नाम का खुलासा नहीं किया है।
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हरिद्वार से चले उनके कथित उत्तराधिकारी आनंद गिरी
इस घटना के बाद आनंद गिरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं फिलहाल हरिद्वार में हूं। वहां से प्रयागराज के लिए रवाना हो गया हूं। आनंद गिरी ने साफ आरोप लगाया है कि ये आत्महत्या नहीं हत्या है। मैं बाल्यकाल से उनका शिष्य रहा हूं। हम लोगों को अलग करने की लगातार कोशिश होती रही है। मेरे साथ उनका कोई विवाद नहीं था।
कुछ लोग मठ की जमीन बेचना चाहते थे, मैं विरोध करता था
महंत आनंद गिरी ने कहा कि कुछ लोग मठ की जमीन बेचना चाहते थे। मैं उसका विरोध करता था। उन्हीं लोगों ने हम लोगों के बीच अलगाव कराया। उन लोगों ने ही गुरुजी को पहले मुझसे दूर किया और अब उन्हें छीन लिया है। सनातन धर्म की यह सबसे बड़ी हानि है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। तत्काल इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
आनंद गिरी ने कहा कि यह एक बड़ा षड़यंत्र है, महंत नरेंद्र गिरी के बाद उनकी भी जान ली जा सकती है।