
आगरा (Uttar Pradesh) । लॉकडाउन के कारण गरीबों के सामने भूखमरी की दिक्कत आ रही है। ताजा मामला ताज न्यू आगरा थाना क्षेत्र के कौशलपुर का सामने आया है। जहां एक पिता गरीबी के कारण अपने परिवार को दो वक्त का खाना और बच्चों का ईलाज नहीं करा पा रहा है। बताया जाता है कि अग्रवन क्वारंटाइन सेंटर से खाने के पैकटों के जरिए वह बच्चों का पेट भर रहा था। लेकिन, एक हफ्ते पहले क्वारंटाइन सेंटर में हंगामा हुआ तो वह भी मिलना बंद हो गया। अब उसे पुलिस चौकी से ही एक टाइम लंच का पैकेट मिल रहा था। इसी दौरान उसकी एक बेटी की मौत हो गई। इस लाचार पिता की गरीबी का आलम यह था कि बेटी का अंतिम संस्कार तक करने के लिए दूसरे से चंदा मांगना पड़ा। चंदा मांगकर एक बेटी का अंतिम संस्कार कर लौटे गरीब पिता के सामने दूसरी बेटी की बीमारी ने अब मुश्किलें बढ़ा दी है, जिससे उसका परिवार अब टूट गया है, उनके आगे मानों अब कुछ दिखाई दे रहा है कि वे क्या करें।
यह है पूरा मामला
न्यू आगरा थाना क्षेत्र के कौशलपुर निवासी राम सिंह की पत्नी बबिता को अचानक पैरालिसिस (लकवा) की बीमारी हो गई। इलाज के लिए राम सिंह को अपना मकान भी बेचना पड़ा। इसके बाद राम सिंह वाटरवर्क्स चौराहे पर लाल मस्जिद के पास मलिन बस्ती में किराए के मकान में रहने लगा। जैसे-तैसे मजदूरी कर पत्नी बबिता, बेटी दीपेश (13), वैष्णवी (11), परी (07) और बेटे भरत (05) का पेट भरने लगा। लेकिन, 23 मार्च के बाद शुरू हुए लॉकडाउन के बाद उसकी मजदूरी भी छूट गई।
इस तरह किया बेटी का अंतिम संस्कार
बेटी वैष्णवी की तबियत खराब हो गई। उसका शरीर पीला पड़ गया था। मजबूरी में राम सिंह न तो उसका इलाज करा सका न ही उसका पेट भर सका। 28 अप्रैल को वैष्णवी ने दम तोड़ दिया। राम सिंह को बेटी के अंतिम संस्कार के लिए भी दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ा। लोगों ने कुछ लकड़ियों का इंतजाम किया तो उसने यमुना घाट पर बेटी का अंतिम संस्कार किया।
अब दूसरी बेटी की हालत खराब
मौत की खबर पाकर कुछ समाजसेवियों ने राशन व कुछ पैसों की मदद की है। फिलहाल जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने इस मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके बाद गुरुवार सुबह प्रशासन ने भी पीड़ित परिवार की मदद की है। वहीं, अब उसकी बड़ी बेटी दीपेश में भी वैसे ही बीमारी के लक्षण दिखने लगे हैं।
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