अखिलेश ने सौंपी रालोद को पश्चिम की कमान, भाजपा को मिल सकता है सपा की अंतर्कलह का फायदा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-रालोद गठबंधन को चुनाव में जीत की गारंटी माना जा रहा था लेकिन सपा नेतृत्व ने रालोद के समक्ष एक तरह से समर्पण कर 38 सीटें उसके लिए चुनाव लड़ने को छोड़ी है। इस फैसले से सपा के ताकतवर और जिताऊ उम्मीदवार सकते में हैं। उनमें से कई ऐसे हैं जन्हिें खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ाने का भरोसा दिया था। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 26, 2021 7:30 AM IST

 

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पश्चिम का किला फतह करने की कमान राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के हवाले करने के अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के फैसले से समाजवादी पार्टी (SP) में व्याप्त असंतोष का फायदा भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मिलने की संभावना है। दरअसल,पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-रालोद गठबंधन को चुनाव में जीत की गारंटी माना जा रहा था लेकिन सपा नेतृत्व ने रालोद के समक्ष एक तरह से समर्पण कर 38 सीटें उसके लिए चुनाव लड़ने को छोड़ी है। इस फैसले से सपा के ताकतवर और जिताऊ उम्मीदवार सकते में हैं। उनमें से कई ऐसे हैं जन्हिें खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ाने का भरोसा दिया था। 

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रालोद संगठनात्मक ढांचा है कमजोर 
ऐन वक्त पर अखिलेश ने एक तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी रालोद प्रमुख जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) के हवाले कर दी। राजनीतिक वश्लिेषकों के अनुसार रालोद की दक्कित है कि उसके पास राजनीतिक जमा-पूंजी कृषि बिलों के खिलाफ जाटों में उपजे असंतोष और नाराजगी के रूप में मौजूद है। बड़े चौधरी अजित सिंह के गुजरने के बाद रालोद का संगठनात्मक ढांचा कमजोर हुआ है। हालांकि अखिलेश के साथ आने से जयंत चौधरी और रालोद दोनों की साख और वश्विसनीयता बढ़ी है। उपर्युक्त उम्मीदवारों के अभाव में रालोद के पास ऐसे टिकार्थियों का जमावड़ा लग गया है। यदि उनको उम्मीदवार बना दिया गया तो नतीजे अनुकूल नहीं रहेंगे। चुनाव में उनकी प्रतक्रियिा स्पष्ट रूप से सामने आएगी और जो बाजी अभी जीतती हुई दिख रही है वो हार में बदल सकती है। 

मुजफ्फरनगर जिले में पांच सीटों पर रालोद उतारेगा उम्मीदवार 
सहारनपुर में जहां रालोद का कोई प्रभाव नहीं है वहां देवबंद और रामपुर मनिहारान सुरक्षित सीट रालोद को दी गई है। देवबंद में तो रालोद को पूर्व विधायक ठाकुर वीरेंद्र सिंह (Thakur Virendra Singh)के रूप में उपर्युक्त उम्मीदवार मिल गया है लेकिन रामपुर मनिहारान के टिकट को लेकर जुआं दौड़ लगी है। शामली जिले में भी रालोद को शामली और थानाभवन दो सीट दी गई हैं। प्रोफेसर सुधीर पंवार के सपा से चुनाव लड़ने की स्थिति से गन्ना मंत्री सुरेश राणा परेशानी में पड़ गए थे और भाजपा नेतृत्व उन्हें देवबंद या चरथावल से लड़ाने की रणनीति पर विचार कर रहा था लेकिन जीत रालोद के खाते में जाने से और राव वारीश के चुनाव लड़ने की संभावना से सुरेश राणा को राहत मिली है। अब भाजपा ने सुरेश राणा को वहीं से चुनाव लड़ाने का नर्णिय ले लिया है। मुजफ्फरनगर जिले में छह विधानसभा सीटें हैं। चरथावल को छोड़कर अन्य पांच सीटों पर रालोद अपने उम्मीदवार उतारेगा। 

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