सांसद होने के साथ ही विधायक भी चुने गए अखिलेश यादव और आजम खां, जानिए कब तक दोनों पदों पर रह सकते हैं बने

अखिलेश यादव और आजम खां दोनों लोकसभा सांसद रहते हैं तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना पड़ेगा। संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति लोकसभा सांसद या राज्यसभा सांसद रहते हुए विधानसभा चुनाव भी लड़ सकता है। इसी के साथ वह विधायक रहते हुए भी लोकसभा चुनाव लड़ सकता है। 

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और सपा नेता आजम खां (Azam Khan) लोकसभा सांसद होने के साथ ही यूपी चुनाव में विधायक भी चुने गए हैं। अखिलेश यादव जहां आजमगढ़ (Azamgarh) से लोकसभा सांसद हैं और करहल सीट से चुनाव जीते हैं तो वहीं आजम खां रामपुर से सांसद हैं और रामपुर सीट से विधानसभा चुनाव जीते हैं। हालांकि नियमतः दोनों ही लोग एक ही पद पर रह सकते हैं। जिसके बाद सवाल उठता है कि आखिर इसका क्या नियम होता है और कैसे उस पर अमल किया जाता है। 

अगर अखिलेश यादव और आजम खां दोनों लोकसभा सांसद रहते हैं तो उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना पड़ेगा। संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति लोकसभा सांसद या राज्यसभा सांसद रहते हुए विधानसभा चुनाव भी लड़ सकता है। इसी के साथ वह विधायक रहते हुए भी लोकसभा चुनाव लड़ सकता है। हालांकि अगर वह जीत जाता है तो उसे एक पद से इस्तीफा देना होता है। नियमतः कोई भी व्यक्ति एक समय पर दो पदों पर नहीं बना रह सकता है। अगर वह दो सीट से विधायक या सांसद भी बन जाता है तो भी उसे ऐसे स्थिति में एक सीट छोड़नी पड़ती है। 

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ऐसे परिस्थितियों को लेकर जानकार बताते हैं कि चुनाव खत्म होने के बाद चुनाव आयोग विजयी प्रत्याशियों का नोटिफिकेशन जारी करता है। परंपरा के मुताबिक लोकसभा सदस्य रहते हुए व्यक्ति विधायक की शपथ नहीं ले सकता है। अगर ऐसा होता है तो उन्हें लोकसभा स्पीकर को इसकी सूचना देनी होती है। अगर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया जाता है तो नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर सदस्यता अपने आप खत्म हो सकती है। जानकार कहते हैं कि संविधान निर्माताओं ने ऐसी स्थिति की कल्पना की ही नहीं थी। लेकिन अलग-अलग पहलुओं के लिए अलग-अलग संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं। 

क्या है संवैधानिक प्रावधान 
* अनुच्छेद 101(2) के अनुसार यदि कोई लोकसभा सदस्य विधानसभा का चुनाव लड़ता है और जीत जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर इस्तीफा देना होता है। ऐसे ही यदि कोई विधानसभा सदस्य लोकसभा का चुनाव लड़ता है और चुन लिया जाता है तो उसे भी 14 दिन के भीतर इस्तीफा देना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर उसकी लोकसभा सदस्यता समाप्त हो जाती है। 
* यह कोई लोकसभा सदस्य राज्यसभा का सदस्य बन जाता है तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 10 दिन के भीतर इस्तीफा देना होता है। 
* यदि कोई व्यक्ति दो जगह से लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ता है और दोनों ही जगह से जीत जाता है तो उसे एक सीट नोटिफिकेशन जारी होने के 14 दिन के भीतर छोड़नी पड़ती है। 
अगर अखिलेश और आजम लेते हैं विधानसभा की शपथ तो करना होगा ये काम 
चुनाव जीतने के बाद विधायकों को विधानसभा में विधायक पद की शपथ लेनी होती है। अगर अखिलेश और आजम खां यह शपथ लेते हैं तो उन्हें इसके बारे में लोकसभा स्पीकर को जानकारी देनी होगी। इसके बाद उन्हें 14 दिन के भीतर ही एक सदन से इस्तीफा देना होगा। हालांकि शपथ को लेकर कोई सीमा नहीं है। 

इस्तीफे के बाद क्या होगा असर 
मौजूदा समय में लोकसभा में समाजवादी पार्टी के पास 5 सीटे हैं। अगर ऐसे में अखिलेश और आजम इस्तीफा देते हैं तो लोकसभा में सपा सांसदों की संख्या 3 रह जाएगी। वहीं विधानसभा में सपा के विधायकों की संख्या 111 हैं अगर दोनों यहां से इस्तीफा देते हैं तो विधानसभा में सपा की 109 सीटें हो जाएंगी। वहीं इस्तीफा के बाद दोनों ही सूरत में उपचुनाव करवाया जाएगा। 

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