पूर्वी उत्तर प्रदेश साधने में जुटे अखिलेश यादव, समझिए क्या है पूरी रणनीति

इस बार जौनपुर जिले में दो दिन के प्रचार अभियान का मकसद सपा की पकड़ पिछड़े वर्गों खासकर निषाद समुदाय को जोड़ना है। माना जाता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर,  देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, गाजीपुर, आजमगढ़, भदोही, मर्जिापुर और बनारस समेत आसपास के अन्य जिलों में निषाद मतदाताओं की अच्छी तादाद है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 15, 2021 1:43 PM IST / Updated: Dec 15 2021, 07:22 PM IST

देवरिया: उत्तर प्रदेश में आगामी 2022 विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Election 2022) को देखते हुए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)पूर्वांचल में पार्टी की चुनावी तैयारियों को मुकम्मल बनाने के लिये इस क्षेत्र में दूसरी बार धुंआधार प्रचार के लिये पहुंचे हैं। इससे पहले अखिलेश ने कुशीनगर और गाजीपुर क्षेत्र में सपा की विजय रथ यात्रा का एक चरण पूरा कर चुके हैं। 

इस बार जौनपुर जिले में दो दिन के प्रचार अभियान का मकसद सपा की पकड़ पिछड़े वर्गों खासकर निषाद समुदाय को जोड़ना है। माना जाता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर,  देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, गाजीपुर, आजमगढ़, भदोही, मर्जिापुर और बनारस समेत आसपास के अन्य जिलों में निषाद मतदाताओं की अच्छी तादाद है। 

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निषाद समाज को साधने में जुटी सपा

निषाद पार्टी का भाजपा से गठबंधन होने के बाद सपा ने इसका तोड़ निकालने के लिये निषादों के दग्गिज नेता रहे स्वर्गीय जमुना निषाद के परिवार और पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद के साथ निषाद मतदाताओं को अपने पाले में करने की पहल की है। सपा नेतृत्व को वश्विास है कि इन नेताओं का साथ, पूर्वाचल में सपा को संजीवनी देने का काम करेगा।

राजनीति वश्लिेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ के लिये अपने बलबूते पूरा पूर्वांचल और अवध क्षेत्र को भाजपा के पाले में लाना बहुत बड़ी चुनौती होगी। जानकारों की राय में पूर्वांचल में जमुना निषाद के परिवार को आगे करने के साथ-साथ मल्लाहों से लेकर अन्य पिछड़ी जातियां भाजपा से छिटककर सपा का साथ दे सकती हैं। 

इसके अलावा सपा को भरोसा है कि गोरखपुर मंडल में लगभग  30 फीसदी मत प्रतिशत वाला ब्राह्मण समुदाय भी इस बार उसके पक्ष में रहेगा। इसके पीछे गोरखपुर के कद्दावर नेता रहे हरिशंकर तिवारी के परिवार का हाल ही में सपा में शामिल होने को मुख्य वजह माना जा रहा है। इसके साथ ही वैश्य, निषाद और कुर्मी जातियों के अलावा अनुसूचित जाति एवं जनजातियों से भी सपा को समर्थन मिलने की आस है। 

राजनीति वश्लिेषकों का मानना है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश की विजय रथ यात्रा में जिस प्रकार से भीड़ उमड़ रही है उससे पूर्वांचल की चुनावी हवा पिछले चुनाव से जुदा होने का अहसास होता है। इसमें सपा की जमीनी स्तर पर चुनाव की तैयारी से जाहिर है कि पार्टी पिछड़ी जातियों के अलावा जाटव, बिंद, पासी, मुसहर समेत तमाम अनुसूचित जातियों में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश में है। इसके लिये विभन्नि जाति वर्गों के साथ सपा को जोड़ने में जातीय आधार पर बने छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने की अखिलेश की रणनीति के कारगर होने का नतीजा माना जा रहा है। 

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