Special Story: AIMIM की एंट्री से घबराए अखिलेश? हिंदुत्व छोड़ फिर MY समीकरण साधने में जुटे सपा नेता

यूपी विधानसभा चुनाव (UP assembly elections) में इस बार सभी पार्टियां अपनी-अपनी विचारधारा के हिसाब से समुदाय विशेष को रिझाने में जुटी हैं। विपक्षी दल सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेकर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को पछाड़ने की कोशिश में लगे हैं।

दिव्या गौरव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में हर राजनीतिक दल अपनी-अपनी विचारधारा के हिसाब से समुदाय विशेष को रिझाने में लगा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party)के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए कांग्रेस (Congress) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने एक साल पहले से ही मंदिरों की यात्रा शुरू कर दी थी। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, सॉफ्ट हिंदुत्व के सहारे ये दोनों दल भाजपा को टक्कर देने की कोशिश में लगे थे। लेकिन दो चरणों का मतदान हो जाने के बाद अब सपा ने एकबार फिर से अपने पुराने वोटबैंक को साधने की कवायद शुरू कर दी है।

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हाल ही में समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और अपने भतीजे अखिलेश यादव के सिर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का ताज दिलाने की मन्नत के साथ चाचा शिवपाल सिंह यादव ने इटावा में बन्ने मियां की दरगाह पर चादरपोशी की। इसी के साथ शिवपाल ने मुस्लिम मतदाताओं से यह भी कहा कि सपा ही उनके हितों की असली संरक्षक है। समाजवादी पार्टी से जुड़े अन्य नेता भी अपने-अपने इलाकों में एकबार फिर से 'एमवाई' (मुस्लिम-यादव) समीकरण को साधने में लग गए हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सपा नेतृत्व को यह बात समझ में आ गई है कि सिर्फ सॉफ्ट हिंदुत्व के सहारे वह भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकती। चुनाव में सत्ताधारी दल को टक्कर देने के लिए बेहद जरूरी है कि अपने मूल वोटबैंक को भी अपने कब्जे में रखा जाए।

छोटे दल काटेंगे सपा के वोट!
राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर कहते हैं, 'सपा नेताओं को लगने लगा है कि बीजेपी के कोर वोट बैंक को अपनी साइड लाना आसान नहीं है। भाजपा के पाले में जाकर चुनावी खेल सपा को आसान नहीं लग रहा। इसके साथ ही उन्हें खतरा भी लग रहा है कि बीजेपी के पाले में जाकर खेलने से उनका वोटबैंक उनसे छिटककर बसपा या अन्य छोटे दलों की ओर जा सकता है। दो चरणों के चुनाव में यह बात ग्राउंड पर उन्हें समझ में भी आ गई है।' एशियानेट न्यूज हिंदी से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी की एंट्री से भी सपा को थोड़ी घबराहट हो रही है, क्योंकि ये दल अधिकतर सपा का ही वोट काटेंगे।

भाजपा की बातों में नहीं आएगी जनता: सपा
आपको बता दें  कि सपा नेता लगातार कह रहे हैं कि भाजपा झूठे वादे और हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने जैसे काम करती है। एक सपा नेता ने कहा कि जहां बात शिक्षा स्वास्थ्य की होनी चाहिए वहां बीजेपी के लोग नकाब, हिजाब, मंदिर-मस्जिद वाले मुद्दे चुनाव के समय लाते हैं, जिससे कि वोट का ध्रुवीकरण कर सकें लेकिन जनता अब इनकी बातों में नहीं आने वाली।

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