अलीगढ़: कोर्ट ने एक साथ इतने लोगों को सुनाई फांसी की सजा, वजह जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

अलीगढ़ की जिला न्यायालय ने साल 2015 में दो लोगों की हत्या के मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पांच आरोपियों को एक साथ फांसी की सजा सुनाई साथ ही एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी। जमीनी विवाद को लेकर दोहरा हत्याकांड हुआ था। 

Pankaj Kumar | Published : Apr 29, 2022 8:35 AM IST

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के जिले अलीगढ़ में कोर्ट ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसे कई सालों से लोगों को इंतजार था। साल 2015 में दो लोगों की हुई हत्या के मामले में कोर्ट ने आज निर्णय ले लिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पांच आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई तो वहीं एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी है। 

दरअसल देहली गेट थाना इलाके में शाहजमाल में जमीनी विवाद को लेकर दोहरा हत्याकांड हुआ था। इस हत्या के मामले में छह लोग नामजाद आरोपी थे। जिसमें से पांच लोगों को फांसी की सजा सुनाई तो एक को आजीवन कारावास की सजा मिली है। यह फैसला एडीजी थर्ड कोर्ट ने लिया है।

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2015 के मामले पर कोर्ट ने लिया फैसला
शहर के देहली गेट थाना इलाके में महमूद नगर में 24 जुलाई 2015 को एक शादी समारोह के दौरान नोशे और चांद की गोली मारने के बाद लाठी डंडों से पीट पीटकर जमीनी विवाद को लेकर हत्या कर दी गई थी। साल 2015 से अभी तक कोर्ट में यह मामला विचाराधीन था। एडीजे थर्ड राजेश भरद्वाज ने हत्या के आरोपियों को फांसी की सुजा सुनाई।

हत्याकांड में इन आरोपियों को मिली सजा
आरोपियों में भूरा, आसिफ, कपिल, एहसान समेत अमित ठाकुर को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। वहीं आरोपी वकील को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इतने लंबे समय से फैसले के बाद जैसे ही आरोपी जिला कारागार के लिए भेजे जा रहे थे उस वक्त भारी तादाद में लोग मौजूद थे। 

हत्या के बाद पूरा घटनाक्रम कुछ इस प्रकार रहा 
आपको बता दें कि शादी समारोह में जुलाई 2015, 24 को दोहरा हत्याकांड हुआ था। उसके बाद अक्टूबर 2015 में चार्जशीट दायर की गई। 2016 के मध्य में चार्ज तय ट्रायल को शुरू किया गया। 2020 में कुल दो गवाही पूरी हो गई। इसके पश्चात 2021 में धमकी की शिकायतें पूरी हो गई। दिसंबर 2021 में गवाही पूरी हुई और 313 भी दर्ज हो गई। इस पूरे घटनाक्रम के बाद जिला न्यायलय ने आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी।

अदालत ने 60 पेज का फैसला सुनाया 
दोहरे हत्याकांड में 26 गवाहे थे जिनमें से 10 गवाहों को पेश किया गया। दो गवाह बचाव पक्ष की ओर से थे मगर जिला न्यायालय ने अभियोजन के साक्ष्य के आधार पर इस अपराध को दुर्लभतम श्रेणी का मानते हुए फांसी की सजा के योग्य माना। एडीजीसी कृष्णा मुरारी के अनुसार अदालत ने इस प्रकरण में 60 पेज का फैसला सुनाया। 60 पेज के फैसले में 12 पेज का दंडादेश है। जिसमें कई जगह अदालत ने टिपण्णी में यह जिक्र किया कि नगर मोहल्ले में हत्याएं की गई है जो बेहद दुर्लभतम से दर्लभतम श्रेणी का अपराध है।

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