यूपी के जिले अलीगढ़ में अवैध जमीन पर बने मस्जिद तोड़ने के लिए बुलडोजर पहुंचा तो समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक ने रोक दिया। उनका कहना था कि घर-घर में मदरसा होने की बात कहकर दस लाख रुपए देकर समझौता करा दिया।
अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के जिले अलीगढ़ में मस्जिद को लेकर दो घंटे तक हाईवोल्टेज ड्रामा चला। दरअसल अवैध रूप से बनी मस्जिद को गिराने के लिए प्रशासन का बुलडोजर पहुंचा तो घर-घर में मदरसा होगा बोलते हुए सपा के पूर्व विधायक सामने खड़े हो गए। इसके अलावा पूर्व विधायक के साथ ही विशेष समुदाय के लोग हंगामा करने लगे। वहीं पूर्व विधायक ने मस्जिद बचाने के लिए दस लाख रुपए दिए। उसके बाद जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले शख्स ने समझौता कर दिया। फिर प्रशासन की टीम लौट गई।
कोर्ट के आदेश के बाद पहुंचे थे एसडीएम
जानकारी के अनुसार यह मामला शहर के रोरावर थाना क्षेत्र के शाहपुर कुतुब की मस्जिद का है। यहां पर गाटा संख्या 3082 पर दो लोग अपना मालिकाना हक जता रहे थे। एक पक्ष हिंदू है तो दूसरा पक्ष मुस्लिम। दोनों पक्षों को एक ही व्यक्ति ने यह जमीन बेची थी। उसके बाद मुस्लिम पक्ष ने यहां पर मस्जिद का निर्माण कराया। जिसके बाद दूसरा पक्ष मामले में कोर्ट चला गया। कोर्ट ने हिंदू पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रशासन को मस्जिद तोड़कर जमीन का मालिकाना हक दिलाने को कहा। कोर्ट के आदेश के बाद एसडीएम कोल बुलडोजर लेकर मस्जिद तोड़ने पहुंच गए। इसके बाद स्थानीय मुस्लिम पक्ष के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया।
भू माफिया ने दो बार बेची है अलग-अलग व्यक्तियों को
इस मामले की जानकारी जब पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह को हुई तो वह भी मौके पर पहुंच गए। दोनों पक्षों से बातचीत कर उन्होंने जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले दीपक कुमार को जमीन की कीमत 10 लाख देकर सौदा कर लिया। फिर मामला शांत हुआ और प्रशासन का बुलडोजर वापस लौट गया। पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह का कहना है कि जिस जमीन पर विवाद है, यह जमीन भू माफिया ने दो बार अलग-अलग व्यक्तियों को बेची है। वह जमीन शंकर लाल नाम के किसान की थी।
जमीन का एक हिस्सा साल 2010 में दिया बेच
पूर्व विधायक ने आगे बताया कि शंकर लाल ने 1100 गज की जमीन साल 2007 में दीपक कुमार नाम के व्यक्ति को बेंच दी थी। जिसके बाद दीपक इस जमीन के मालिक हो गए थे लेकिन आरोपी शंकर लाल और मुकेश ने इस जमीन का फिर सौदा कर दिया। साल 2010 में उन्होंने जमीन का एक हिस्सा अफजाल नाम के व्यक्ति को बेच दी। फिर जमीन पर मस्जिद और मदरसे का निर्माण कराया गया था। दीपक ने इस मामले में कोर्ट और शासन के पास गुहार लगाई थी। उसके बाद दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट का फैसला दीपक के पक्ष में आ गया। प्रशासन मस्जिद हटाने पहुंचा था।
जांच के आधार पर आगे की होगी कानूनी कार्रवाई
पूर्व विधायक का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर एसडीएम मस्जिद तोड़ने आए थे लेकिन आदेश नहीं दिखा पाए। उनका मकसद मस्जिद को बचाने का था जो पूरा हो गया है। इस मामले को लेकर एसडीएम कोल संजीव ओझा का कहना है कि गलत लोगों से बैनामा कराकर जमीन पर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। इसी वजह से जमीन को कब्जा मुक्त कराने के आदेश हुए थे। मगर आपसी बातचीत से मामला सुलझ गया। उन्होंने आगे बताया कि जमीन की गलत तरीके से बिक्री करने वाले आरोपियों के खिलाफ मुकदमा कराने के साथ एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है और जांच के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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