उत्तर प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए है जिसमें जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है। यह सिलसिला थमने का नाम ही नही ले रहा। ऐसा ही एक मामला बीते साल मई महीने में हुआ था। जिसमें जहरीली शराब से 106 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले की जांच में आबकारी अधिकरी समेत 26 लोग दोषी पाए गए है।
अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के जिले अलीगढ़ में जहरीली शराब कांड की मजिस्ट्रेट जांच पूरी होने के बाद डीएम को सौंपी गई है। शराब कांड की मजिस्ट्रेट जांच कर रहे अधिकारी ने आबकारी विभाग के 26 अधिकारी एवं कर्मियों को दोषी पाया है। बीते साल मई माह में हुए जहरीली शराब कांड में करें 106 लोगों की जहरीली शराब पीने के बाद दर्दनाक मौत हुई थी। इस दौरान पुलिस और जिला प्रशासन ने शराब माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए जहरीली शराब के मास्टरमाइंड ऋषि शर्मा और उसके साथी अनिल को गिरफ्तार करते हुए जेल भेजा था।
तो वहीं जेल में बंद शराब माफिया ऋषि शर्मा की पत्नी रेनू शर्मा की मौत हो गई थी। जबकि शराब कांड के माफिया सहित 85 लोग जेल में बंद है। डीएम को प्रेषित की गई जांच रिपोर्ट के बाद जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी ने शराब कांड की मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट को शासन स्तर पर भेज दिया गया है। उस समय के तत्कालीन डीएम चंद्र भूषण सिंह ने मामले में एडीएम प्रशासन देवी प्रसाद पाल को मजिस्ट्रेटी जांच सौंपी थी और डीएम ने 15 दिन के भीतर ही जांच आख्या मांगी थी। लेकिन घटना के करीब कई महीनों बाद जांच आख्या डीएम को सौंपी गई।
जानिए आखिर क्या था पूरा मामला
जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के थाना लोधा क्षेत्र के गांव करसुआ से जहरीली शराब कांड शुरू हुआ था। यहां से शुरू हुआ लोगों की मौतों का सिलसिला एक के बाद एक कई गांव में फैल गया और लोधा क्षेत्र से निकलता हुआ जहरीली शराब कांड अलीगढ़ जिले के कई थाना क्षेत्रों तक पहुंच गया था। जहरीली शराब से मरने वाले मजदूर तबके लोगों का सिलसिला लगातार जारी था। हर तरफ चीख पुकार और हाहाकार मचा हुआ था। इस जहरीली शराब कांड के गूंज कुछ ही घंटे में शासन स्तर पर पहुंच गई थी। जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए थे। जिसके बाद डीएम ने पूरे मामले को लेकर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश भी दिए गए थे। लेकिन डीएम की मजिस्ट्रेट जांच कई महीनों तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही।
इस दौरान छोटे-बड़े कई अधिकारियों पर गाज गिरी थी। जबकि जिला प्रशासन में शराब कांड के मास्टरमाइंड ऋषि शर्मा और उसके साथी अनिल की कोल्ड स्टोर सहित उनकी संपत्तियों को बुलडोजर चलवाते हुए ध्वस्त किया था। तो वहीं उनकी संपत्तियों को कुर्क कर जब्त करते हुए सरकारी संपत्ति घोषित किया था। इस दौरान जेल में बंद ऋषि माफिया की पत्नी रेनू शर्मा की मौत हो गई थी। जबकि पुलिस ने हरियाणा के गुड़गांव में 2 मंजिल इमारत में चल रही जहरीली शराब बनाने की अवैध शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था। इसके साथ ही थाना अकराबाद क्षेत्र के अधीन में भी एक अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ करते हुए भारी मात्रा में शराब और अन्य उपकरण बरामद किए गए थे।
जिला प्रशासन ने शराब माफियाओं की संपत्तियों पर कार्यवाही करते हुए करीब 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को जप्त किया गया था। इधर लोग धीरे-धीरे जहरीली शराब पीने के बाद मर रहे थे तो वही मरने वाले लोगों की लाशों पर राजनीतिक रोटियां भी सेकी जा रही थी। लाशों पर जमकर राजनीति हो रही थी जिसके बाद विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था। इस दौरान जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए शराब के ठेकों पर बुलडोजर चलवा दिया गया था तो वहीं कई ठेकों को सील कर दिया गया था। इस दौरान डीएम ने एडीएम को मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। इस दौरान जहरीली शराब से मरने वाले लोगों की लाशों का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने उनके बिसरे को पिजर्व का आगरा और मेरठ फॉरेंसिक लैब में भेजा गया था। फॉरेंसिक लैब में भेजे गए बिसरे में सभी लोगों की मौत की पुष्टि जहरीली शराब पीने से हुई थी। सभी को मजिस्ट्रेटियल जांच का इंतजार था। जांच अधिकारी व एडीएम प्रशासन डीपी पाल ने पुलिस, राजस्व, आकबारी विभाग व मृतकों के स्वजन के बयान लिए। ग्रामीण व पोस्टमार्टम में लगे डॉक्टरों के भी बयान लिए गए।
ब्रांड के साथ नकली शराब की जा रही थी तैयार
मजिस्ट्रेट जांच के दौरान पता चला कि जिले की कई शराब की दुकानें ऐसे लोगों के हाथों में थी। जिनके द्वारा डिस्टेलरी से गुड इवनिंग ब्रांड की देशी शराब के साथ-साथ नकली रैपर, बोतल, बार कोड का उपयोग कर नकली शराब तैयार कराई जा रही थी। अवैध शराब फैक्ट्रियों में जहरीली शराब तैयार होने के बाद इस शराब की बिक्री करने के लिए शराब माफिया की दुकानों पर सप्लाई किया जाता था। जिसके बाद इस शराब की बिक्री शराब माफियाओं के दुकानों से होती थी। शराब माफियाओं के साथ मिले ग्रहों के सदस्य इस काम को पिछले काफी समय से संचालित कर रहा था। जहरीली शराब बनाने वाले गिरोह के इन्हीं सदस्यों के द्वारा जहरीली शराब की आपूर्ति अपने ही शराब के ठेकों पर की गई थी। जबकि यह मामला पुलिस व आबकारी विभाग के अधिकारियों की संज्ञान में था। उन्हीं के ही प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सहयोग से ही अवैध शराब के निर्माण व बिक्री की व्यवस्था सरकारी शराब के ठेकों पर संचालित की जा रही थी। जिसके चलते आबकारी विभाग के अधिकारी व पुलिस विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने अपने शासकीय दायित्वों का पालन न करते हुए घोर लापरवाही की है। इसके लिए दोनों विभागों के संबंधित जिम्मेदार प्रथम दृष्टया दोषी हैं।
अधिकारी समेत इतने लोग जहरीली शराब कांड में पाए गए दोषी
आपको बताते चलें जहरीली शराब के सेवन से जिले में 106 लोगों की मौत के लिए तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी समेत 26 अफसर-कर्मचारी दोषी ठहराए गए हैं। इनमें तत्कालीन तीन आबकारी निरीक्षक, चार प्रभारी निरीक्षक, दो थाना प्रभारी, तीन चौकी इंचार्ज, पांच आबकारी सिपाही व आठ पुलिस के आरक्षी शामिल हैं। इनकी लापरवाही के चलते बिकी जहरीली शराब ने पिछले साल मई माह में मौत का तांडव दिखाया। कई गांव-गांव में हा-हाकार मच गया था। मुख्य सरगना समेत 85 आरोपित जेल में हैं। एक की मौत हो चुकी है। एक जमानत पर है। पूरे प्रदेश को हिला देने वाले इस कांड की मजिस्ट्रेटी जांच अब पूरी हो गई है। जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में कहा है कि अगर यह जिम्मेदार अफसर व कर्मचारी सतर्कता बरतते तो यह घटना रोकी जा सकती थी। जिला अधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने शासन को जांच रिपोर्ट भेज दी है। इस पर कार्रवाई का निर्णय शासन स्तर से होना है।
शराब माफियाओं की संपत्तियों को नीलाम कर पीड़ितों को दिया जाए मुआवजा
तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने 28 मई 2021 की सुबह सबसे पहले करसुआ, लोधा में जहरीली शराब के सेवन से पांच लोगों की मौत की सूचना मिली थी। जिस पर प्रशासनिक अमले सहित स्वयं डीएम मौके पर पहुंचे थे। इसके थोड़ी ही देर बाद जवां के छैरत, खैर के अंडला में भी जहरीली शराब पीने से लोगों की हुई मौतों की सूचना मिली थी। इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव को जिलाधिकारी द्वारा जानकारी दी गई थी। जहरीली शराब से लोगों की मौत होने की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश है कि शराब कांड के दोषियों के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई सहित उनकी संपत्ति की कुर्की की जाए। शराब माफियाओं की संपत्तियों को नीलाम कर पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। मुख्यमंत्री के इस आदेश पर जिला प्रशासन ने अमल किया। मामले की मजिस्ट्रेटी जांच एडीएम प्रशासन देवी प्रसाद पाल को दी गई थी। तत्कालीन एडीएम से तत्कालीन डीएम ने 15 दिन के भीतर पूरी जांच करके रिपोर्ट देने को कहा गया था।
कर्मचारियों सहित कई अधिकारी चल रहे हैं निलंबित
मजिस्ट्रेट जांच में उस समय के तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी धीरज शर्मा, आबकारी निरीक्षक क्षेत्र अतरौली अवनीश कुमार पांडेय, आबकारी निरीक्षक गभाना चंद्र प्रकाश यादव, आबकारी निरीक्षक लोधा, खैर व टप्पल राजेश कुमार यादव, आबकारी सिपाही रामराज राना, अशोक कुमार,नितेंद्र सिंह, प्रमोद कुमार शर्मा, योगेंद्र सिंह, तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अकराबाद रजत कुमार शर्मा, प्रभारी निरीक्षक खैर प्रवेश कुमार, प्रभारी निरीक्षक गभाना सुबोध कुमार, प्रभारी निरीक्षक टप्पल प्रवीन कुमार मान, थानाध्यक्ष जवां चंचल सिरोही, थानाध्यक्ष लोधा अभय कुमार शर्मा, चौकी प्रभारी जट्टारी शक्ति राठी, चौकी प्रभारी जवां अरविंद कुमार, चौकी प्रभारी पनैठी सिद्धार्थ कुमार, हैड मुंशी लोधा उम्मेद सिंह, आरक्षी श्रवण कुमार, आलोक कुमार, घनेंद्र, एहतेशाम खां, अमित कुमार, रोहित कुमार व विक्की शर्मा शामिल हैं। इन सभी के तबादले लगभग अलीगढ़ जिले से हो चुके हैं। जबकि इनमें से कई आबकारी अधिकारी व कर्मचारी जहरीली शराब कांड के बाद से ही निलंबित चल रहे हैं।
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