सरकार अपने नियमों में करे बदलाव, बहू के नाम भी आवंटित हो राशन की दुकान: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि परिवार में बेटी से ज्यादा बहू का अधिकार है। लेकिन, उत्तर प्रदेश आवश्यक वस्तु (वितरण के विनियम का नियंत्रण) आदेश 2016 में बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है।  इसी आधार पर हाईकोर्ट  ने सरकार से पांच अगस्त 2019 के आदेश को संशोधित करने का निर्देश दिया है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 6, 2021 8:59 AM IST / Updated: Dec 06 2021, 02:38 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (public distribution system) में नई व्यवस्था बनाते हुए बहू या विधवा बहू को भी परिवार की श्रेणी में रखने आदेश दिया है। इसके साथ ही सरकार से पांच अगस्त 2019 के आदेश में बदलाव करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि परिवार में बेटी से ज्यादा बहू का अधिकार है। लेकिन, उत्तर प्रदेश आवश्यक वस्तु (वितरण के विनियम का नियंत्रण) आदेश 2016 में बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड (सुपरा) (Uttar Pradesh Power Corporation Limited (Supra), सुधा जैन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के केस का हवाला भी दिया है और याची पुष्पा देवी (Pushpa Devi) के आवेदन को स्वीकार करने का आदेश दिया है। याची पुष्पा देवी ने हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन किया है कि वह विधवा है।

विधिक उत्तराधिकारी है याची 
याची पुष्पा देवी ने हाईकोर्ट में आवेदन किया था कि वह विधवा हैं। पुष्पा ने आवेदन में बताया कि  राशन की दुकान सास महदेवी देवी के नाम आवंटित थी। 11 अप्रैल 2021 को उनकी की मौत हो गई। इससे उसके जीवन-यापन का संकट खड़ा हो गया। वह और उसके दोनों बच्चे पूरी तरह से उसकी सास पर निर्भर थे। सास के मरने के बाद उसके परिवार में ऐसा कोई पुरुष और महिला नहीं बचा, जिसके नाम से राशन की दुकान आवंटित की जा सके। लिहाजा, वह अपनी सास की विधिक उत्तराधिकारी है और उसके नाम से राशन की दुकान का आवंटन किया जाए।

आदेश के चलते निरस्त किया प्रत्यावेदन
याची ने राशन की दुकान के आवंटन के संबंध में संबंधित अथॉरिटी के प्रत्यावेदन किया था। लेकिन, अथॉरिटी ने यह कहकर उसका प्रत्यावेदन निरस्त कर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार के पांच अगस्त 2019 के आदेश के तहत बहू या विधवा बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है। लिहाजा, बहू को राशन की दुकान का आवंटन नहीं किया जा सकता है। याची ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।  

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