यूपी को पांच बार से लगातार दो एमएलसी दे रहा अमेठी, अक्षय गोपाल और शैलेंद्र सिंह को इन दो जिलों से मिली जीत

उत्तर प्रदेश परिषद चुनावों के नतीजों में पांचवी बार सुल्तानपुर-अमेठी के एमएलसी के रूप में शैलेंद्र प्रताप तो वहीं प्रतापगढ़ के एमएलसी अक्षय गोपाल ने अपने नाम किया है। 16 जनवरी 2022 का शैलेंद्र सपाई से भाजपाई बने। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया तो आज उन्होंने न सिर्फ अपना पद बचाया बल्कि पहली बार एमएलसी चुनाव में कमल खिला दिया।

Pankaj Kumar | Published : Apr 12, 2022 1:47 PM IST

अमेठी: उत्तर प्रदेश के जिले अमेठी की मिट्टी का अपना अलग ही असर है। देश को राजीव गांधी के रूप में जहां उसने प्रधानमंत्री दिया वही 90 के दशक से यहां की मिट्ठी उत्तर प्रदेश को दो विधान परिषद सदस्य देती चली आ रही है। आज यानी 12 अप्रैल को आए परिषदीय नतीजों में पांचवीं बार जहां जामो के राजा अक्षय गोपाल सिंह प्रतापगढ़ के एमएलसी बने। वहीं यही के निवासी शैलेंद्र प्रताप भी पांचवीं बार सुल्तानपुर-अमेठी के एमएलसी चुने गए हैं।

पहली बार शैलेंद्र ने 1990 में जनता दल के टिकट से लड़ा था चुनाव
भाजपा नेता व सुल्तानपुर के एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह मूल रूप से अमेठी के जामो थाना अंतर्गत अचलपुर के निवासी हैं। सुल्तानपुर के कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के उतरी में उनका नानिहाल है। उनकी मां अपने माता-पिता की अकेली संतान थी। ऐसे में नाना की विरासत संभालने के लिए शैलेंद्र प्रताप सिंह यहां निवास करने लगे। 

तो वहीं पिता जीत बहादुर सिंह आर्मी में सूबेदार थे। सेवानिवृत होने के बाद पैतृक गांव में ही निवास करते रहे। पांच साल पहले ही 83 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। शैलेंद्र प्रताप सिंह के भाई दिनेश कुमार सिंह स्वास्थ्य महकमें में ब्लॉक पर संविदा कर्मी हैं। उनका कोई राजनैतिक बैक ग्राउंड नहीं है। पहली बार शैलेंद्र प्रताप सिंह ने 1990 में एमएलसी चुनाव जनता दल के टिकट पर लड़ा और जीता था।

शैलेंद्र सिंह ने पहली ही बार में जीत दर्ज कर खुली लाल जीप में मनाई खुशियां
वरिष्ठ पत्रकार बृजेंद्र विक्रम सिंह ने बातचीत में बताया कि साल 1990 में सुल्तानपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री केएन सिंह का काफी दबदबा हुआ करता था। साथ ही वो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव थे। उनके अनुज स्व. राज किशोर सिंह टिकट मांग रहे थे जिन्हें पार्टी ने टिकट न देकर स्व. डॉ. केपी सिंह को टिकट दिया था। इस पर राजकिशोर सिंह बागी हो गए, उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी ने समर्थन किया। प्रचार के लिए खुद हरकिशन सिंह सुरजीत आए थे। 

उधर जनता दल से शैलेंद्र प्रताप सिंह डटे ही थे। उन्हें जनता दल के सांसद राम सिंह और इस दल के विधायक इंद्र भद्र सिंह, अशोक पांडे व सूर्यभान सिंह का उन्हें भरपूर साथ मिला। जून माह में हुए इस चुनाव में नतीजा आया तो शैलेंद्र सिंह ने पहली ही बार में जीत दर्ज कराई थी। विजय जुलूस निकाला तो लंभुआ के दुधापुर निवासी रमेश सिंह की खुली लाल जीप में शैलेंद्र सिंह के साथ यह सभी नेता गाड़ी पर निकले और खुशियां मनाई थी।

19 साल सपा में रहे शैलेंद्र, विधायक रघुराज प्रताप सिंह के संपर्क में आए 
साल 1996 में उन्होंने निर्दल चुनाव लड़कर जीता। जीत पर जीत मिली तो उनका कद बढ़ गया, प्रतापगढ़ के कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह के वो सीधे संपर्क में आए और समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली। साल 2003 में उसके सिंबल पर विधान परिषद सदस्य चुने गए। वर्ष 2004 में सपा ने उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बनाया, जिसमें उन्हें बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के मोहम्मद ताहिर खां ने उन्हें पराजित कर दिया था। शैलेंद्र प्रताप को 1,59,754 वोट मिले थे। 

साल 2010 में उन्होंने एक बार फिर विधान परिषद का चुनाव लड़ा लेकिन बसपा लहर में उन्हें अशोक सिंह से हार का सामना करना पड़ा। 2016 के चुनाव में शैलेंद्र प्रताप सिंह ने फिर से विधान परिषद का चुनाव लड़ा। 2016 का परिणाम सुल्तानपुर 720 वोटों से बीजेपी के कमलेश चंद्र त्रिपाठी को हराकर जीत दर्ज कराई थी। 16 जनवरी 2022 का वो दिन था जब सपाई से भाजपाई बन गए थे। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया तो आज उन्होंने न सिर्फ अपना पद बचाया बल्कि पहली बार एमएलसी चुनाव में कमल खिला दिया।

MLC के रूप में है पांचवी सफलता, 2004 में सासंद के रूप में मिली थी कामयाबी
उधर जामो राजघराने के चिराग व प्रतापगढ़ के एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल की पहचान जामो में अधिक नहीं बन पाई। सियासत में खुद को स्थापित करने के लिए उन्होंने पुश्तैनी करीबी रजवाड़ों में भदरी रियासत का सहारा लिया। भदरी के राजकुमार और कुंडा विधायक के रूप में राजनैतिक पारी की शुरुआत करने वाले रघुराज प्रताप सिंह राजाभैया ने गोपाल की महत्वाकांक्षा को समझते हुए उन्हें भरपूर सहयोग दिया। उन्हें न सिर्फ चुनावी समर में उतारा बल्कि हर कदम पर साथ खड़े रहकर इसमें कामयाबी भी दिलाई। 

उन्‍होंने साल 1998 में प्रतापगढ़ से विधान परिषद सदस्य का चुनाव लड़ा और जीता था। इसके बाद 2003 में वह एक बार फिर निर्दलीय एमएलसी निर्वाचित हुए। साल 2010 और 2016 में वह समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे और एमएलसी निर्वाचित हुए। इस बार एमएलसी के रूप में उनकी पांचवी सफलता है। बता दें कि 2004 के लोकसभा चुनाव में गोपाल को सांसद के रूप में कामयाबी मिली थी।

बीजेपी प्रत्याशी शैलेंद्र प्रताप ने परिषदीय चुनावों में इतने वोटों से दर्ज कराई जीत 
बता दें कि नगर के सरदार बल्लभ भाई पटेल सामुदायिक भवन में आज मतगणना हुई। बीजेपी प्रत्याशी शैलेन्द्र प्रताप सिंह को जहां 2480 मत तो वहीं सपा की शिल्पा प्रजापति को 1211 मत मिले। मतगणना के पूरे समय यहां डीएम रवीश गुप्ता स्वंय मौजूद रहे। गौरतलब है कि सुल्तानपुर-अमेठी में कुल 3895 वोटर थे। इनमें सुल्तानपुर में 2220 तो अमेठी में कुल 1675 मतदाता थे। सुल्तानपुर में जहां 2205 वोट पड़े थे वहीं अमेठी में 1642 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

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