पैतृक गांव को याद कर भावुक हुए अमिताभ, जया की वजह से बची है ये आखिरी निशानी

कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) की हॉट सीट पर बैठीं सपना बड़ाया की बात सुन अमिताभ बच्चन भावुक हो गए और दर्शकों को अपने पूर्वजों के बारे में बताने लगे। उन्होंने कहा, मेरे पूर्वजों का गांव भी प्रतापगढ़ के बाबूपट्टी गांव में है। बता दें, ऐसा पहली बार हुआ जब अमिताभ ने सार्वजनिक तौर पर अपने पैतृक गांव के बारे में बताया।

Asianet News Hindi | Published : Nov 7, 2019 7:35 AM IST

प्रतापगढ़ (Uttar Pradesh). कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) की हॉट सीट पर बैठीं सपना बड़ाया की बात सुन अमिताभ बच्चन भावुक हो गए और दर्शकों को अपने पूर्वजों के बारे में बताने लगे। उन्होंने कहा, मेरे पूर्वजों का गांव भी प्रतापगढ़ के बाबूपट्टी गांव में है। बता दें, ऐसा पहली बार हुआ जब अमिताभ ने सार्वजनिक तौर पर अपने पैतृक गांव के बारे में बताया। 

कुछ ऐसा है प्रतापगढ़ से अमिताभ का रिश्ता
27 नवंबर 1907 में मशहूर कवि और अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्‍चन का जन्म प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील के अमोढ़ गांव में हुआ था। उसके बाद उनका जीवन प्रतापगढ़ से इलाहाबाद, इंग्लैंड, दिल्ली और मुंबई तक घूमता रहा। 18 जनवरी 2003 को उन्होंने मुंबई में अंतिम सांसें ली। प्रतापगढ़ में उनकी निशानी के तौर पर सिर्फ एक पुस्‍तकालय है, जोकि उन्‍हीं के पैतृक जमीन पर बना है। 2006 में जया बच्चन ने इस पुस्तकालय का निर्माण कराया था। इसके अलावा सरकारी कागजों में हरिवंश या अमिताभ के नाम गांव की कोई जमीन दर्ज नहीं है।

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पैतृक गांव में आखिरी निशानी
अमिताभ के पैतृक गांव में बने पुस्‍तकालय में हरिवंश जी की लिखी किताबें और कुछ पुरानी फोटोज रखी गई हैं। अमोढ़ गांव के रहने वाले राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया था, उद्घाटन के बाद करीब 3-4 दिन पुस्‍तकालय खुला। इसके बाद उसका ताला नहीं खुला। अंदर रखी किताबें और फोटोज किस हाल में है, किसी को नहीं मालूम।

प्रतापगढ़ की सपना जीतीं एक लाख 60 हजार रुपए
5 नवंबर को प्रतापगढ़ की बेटी और मध्यप्रदेश के शिवपुरी की बहू सपा हॉट सीट पर बैठी थीं। सपना ने बताया, मेरी शादी मध्य प्रदेश के शिवपुरी शहर में हुई। केबीसी में वहीं से सिलेक्ट हुईं। हालांकि, मायका प्रतापगढ़ में है। पिता कैलाश नाथ खंडेलवाल शहर के प्रतिष्ठित दवा व्यवसायी हैं। शादी के कुछ समय बाद से ही मेरी लाइफ अच्छी नहीं चल रही है। अपनी एक किडनी देने के बाद भी बीमार पति को नहीं बचा पाई। केबीसी में मैं एक लाख 60 हजार रुपये जीती।

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